Short Story of Akbar And Birbal in Hindi| Asli Maa Kaun Hai?

Short Story of Akbar And Birbal in Hindi

 

एकबार की बात है की बादशाह अकबर के दरबार में बहुत ही गंभीर और पेचीदा वाकया आया ।

इस मामले ने सारे दरबारी मंत्रीगण और खुद बादशाह को हैरत में दाल दिया की ये कैसा मामला है और इसको कैसे सुलझाया जाये।

ये ममला था की बादशाह के दरबार में दो औरतें रोती बिलखती हुई उपस्थित हुई।

उनके पास एक छोटा सा प्यारा बच्चा भी था दोनों उसको अपना अपना बच्चा बता रही थी।

ये औरते इस जगह से कोसों दूर रहती थी इसलिए किसी ने भी उनको इस बच्चे के साथ किसी ने देखा भी नहीं था।

तो किसी और को नहीं पता था की वास्तव में इस प्यारे बच्चे की असली माँ कौन सी औरत है।

लेकिन दोनों ही औरतो रो रो कर अपने आप को इस बच्चे की असली माँ बता रही थी ।

अब समस्या अकबर के सामने आ गई कि न्याय कैसे करें और बच्चा किसको दिया जाए।

इस संबंध में उन्होंने एक-एक करके सभी दरबारियों की राय ली।

परन्तु बादशाह अकबर के दरबार इस मामले को सुलझाने में असमर्थ ही दिख रहा था।

बीरबल को देखकर बादशाह अकबर की आंखें ख़ुशी से चमक गयी ।

बीरबल के आते ही अकबर ने उन्हें इस समस्या के बारे में बताया।

अकबर ने बीरबल से कहा कि अब तुम स्वयं इस समस्या का समाधान करो।

बीरबल कुछ सोचते रहे और फिर जल्लाद को बुलाने को कहा।

जल्लाद के बादशाह के दरबार में उपस्थित होते ही उस छोटे बच्चे को एक मेज पर लिटा दिया।

और बीरबल ने कहा की जल्लाद के हाथो इस बच्चे के दो टुकड़े करवा कर एक एक टुकड़ा दोनों औरतो को दे देते है ।”

जो भी औरत इस फरमान को नहीं मानेगी तो जल्लाद उसके भी दो तड़के कर देगा

Story of Akbar Birbal in Hindi with Picture

यह सुनकर, महिलाओं में से एक बच्चे को टुकड़ों में काटने के लिए तैयार हो गई।

और कहा कि उसने आदेश स्वीकार कर लिया है। उनमे से एक औरत ने ये मान लिया की वो बच्चे का एक टुकड़ा लेकर चली जाएगी।

और उसके विपरीत दूसरी औरत बच्चे के दो टुकड़े होने की बात सुनकर बिलख बिलख कर रोने लगी ।

विनती करते हुए बोली बादशाह सलामत आप मेरे बच्चे के दो टुकड़े न करें और आप चाहे तो मुझे कोई भी सजा दे दे।

मेरे बच्चे को कुछ ना करे और इस औरत को मेरा बच्चा दे दे जिससे मेरे पास ना सही परन्तु मेरा बच्चा जीवित तो रहेगा।

यह देखकर सभी दरबारियों को लगने लगा कि डर के मारे रोने वाली महिला दोषी है।

लेकिन तभी बीरबल ने बीरबल ने तुरंत ही अपने सैनिकों को आदेश दिया।

की इन दोनो में से जो भी औरत बच्चे का एक टुकड़ा लेने को बोल रही है।

वो इस बच्चे की असली माँ नहीं है ये औरत झूठ है ऐसे तुरंत ही जेल खाने में डालो।

मामला सुलझ जाने के बाद बादशाह ने अकबर से कहा की बीरबल तुमने कैसे पहचाना की बच्चे की असली माँ कौन सी है ?

तब बीरबल मुस्कुराए और बोले, “महाराज मां सारी मुसीबतें अपने सिर पर ले लेती हैं।

लेकिन बच्चे को गर्म भी नहीं होने देती और यही हुआ।

इसी बात को ध्यान में रख कर ही मैंने पता कर लिया की जो औरत बच्चे के बदले में खुद सजा पाने को तैयार है वो ही औरत असली माँ है ।”

और अपनी बुद्धिमानी और चतुराई से बीरबल ने बादशाह को अपनी और आकर्षित कर लिया ।

Moral of the story:कहानी से सीखो

इस कहानी से हमें ये सबक मिलता है की हमें कभी भी दुसरो की वस्तुओपर अपना झूठा दवा नहीं करना चाहिए

क्योकि सच हमेशा सबके सामने आ ही जाता है

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