Shekh Chilli Ki Hindi Kahani – शेख चिल्ली की कहानी : बुरा सपना स्टोरी इन हिंदी
Shekh Chilli Ki Kahani in Hindi – Bura Sapna Story In Hindi
एक दिन सुबह सुबह शेखचिल्ली चिंतित हालत में उठा था ।
ऐसे उसे परेशान देखकर उसकी माँ ने पूछा बेटा क्या आज भी तुम्हारा वो डरावना सपना था?
तो उस पर शेखचिल्ली ने गर्दन हिलाई और अपनी माँ को गले से लगा लिया।
शेखचिल्ली अपनी माँ से बहुत प्यार करता था और वह उसका पूरा परिवार था।
शेखचिल्ली की मां ने कहा, ‘आज मैं तुम्हें हकीम जी के पास ले चलूंगी। वह आपके बुरे सपनों को दूर भगाएगा।
कुछ देर बाद दोनों हाकिम पहुंचे। शेखचिल्ली हकीम को उसके बुरे सपने के बारे में बताता है।
उन्होंने कहा, ‘मेरा सपना है कि मैं चूहा बन गया हूं और गांव की सभी बिल्लियां मेरा पीछा कर रही हैं।
यह सपना मुझे लंबे समय से परेशान कर रहा है।
‘ शेखचिल्ली की माँ ने हकीम से कहा, ‘अब तुम इसके बुरे सपने का इलाज करो।
मैं अपने बच्चे को इस तरह परेशान होते नहीं देख सकती।’
शेखचिल्ली की मां ने फिर कहा, ‘क्या आप बताएंगे कि मेरे बेटे का यह सपना क्यों है?
‘ इससे पहले कि हकीम कुछ बोल पाता अम्मी ने फिर कहा, ‘जब शेखचिल्ली छोटा था तो एक बिल्ली ने उसे खरोंच दिया था।
क्या यही कारण है कि मेरे बेटे का ऐसा सपना है?
शेख चिल्ली की कहानी
हाकिम ने कहा, ‘हां, ऐसा हो सकता है, लेकिन चिंता न करें, यह जल्द ही खत्म हो जाएगा।’
हकीम ने शेखचिल्ली से कहा, ‘अब से तुम हर दिन मेरे पास दवा लेने आते हो और ध्यान रखना कि तुम जवान हो, चूहा नहीं।
दोनों घंटों बातें करते थे। तब हकीम उसे दवाई देकर घर भेज देता था। जल्द ही शेख चिल्ली और हकीम अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन की बात है हकीम और शेखचिल्ली आपस में बात कर रहे थे
तो हाकिम ने बड़े प्यार से शेखचिल्ली से पूछा की एक बात है
मेरे में मन क्या तुम बता सकते हो शेख चिल्ली ने कहा हां में जरूर बताऊंगा
तो हाकिम ने कहा की अगर मेरा कान अगर नीचे गिर जाए तो ?’ कहा, लेकिन मेरा दूसरा कान भी गिर जाए तो क्या होगा?
अगर तुम्हारे कान नीचे गिर गए, तो तुम्हारा चश्मा कहाँ होगा? इस मामले में तुम अंधे हो जाओगे ना?
शेख चिल्ली का जवाब सुनकर हकीम भी ठहाका लगाकर हंसने लगा।
कहा, ‘यही तो आपने बहुत अच्छी बात कही। मैंने इस बारे में सोचा भी नहीं था।
‘ धीरे-धीरे शेखचिल्ली को बुरे सपने आने बंद हो गए। एक दिन हकीम का पुराना दोस्त उससे मिलने आया।
उसकी खातिर, हकीम ने शेख चिल्ली को जाने के लिए कहा और बाजार से कुछ गर्म जलेबी लाने के लिए कहा।
शेखचिल्ली रास्ते में ही था कि उसने रास्ते में एक बड़ी बिल्ली को देखा।
वह डर गया और हकीम के पास दौड़ा और कहा, ‘मुझे बचा लो।
‘ हकीम ने कहा, ‘अब तुम चूहा नहीं हो, यह क्यों भूल रहे हो। जाओ, डरो मत।
नहीं, इसलिए मैं नहीं जाऊंगा। पहले तुम बिल्ली को भगाओ।’ हकीम धीरे से मुस्कुराया और बिल्ली को भगा दिया।
शेखचिल्ली की कहानी
शेख चिल्ली के कारनामे सुनकर हाकिम के मेहमान ने कहा, ‘मैं उसके पिता को अच्छी तरह जानता था।
उन्होंने घर जाकर शेखचिल्ली की मां से बात करना की इच्छा व्यक्त की। हकीम मान गया।
सभी ने पहले खस्ता जलेबियां खाईं, कहवा पिया और फिर मेहमान शेखचिल्ली की मां से मिलने के लिए निकल पड़े.
अतिथि ने पूछा, ‘क्या यह सड़क आपके घर तक जाती है, शेख चिल्ली?’ शेख चिल्ली ने सिर हिलाया।
मेहमान हैरान रह गया। उसने पूछा, ‘फिर यह रास्ता कहाँ जाता है?’ शेख चिल्ली ने कहा, ‘कहीं नहीं’ मैं कहीं कैसे जाऊं?
हां, इस सड़क के सहारे हम घर जरूर जा सकते हैं। यह यहाँ पड़ा है।’
शेख चिल्ली का उत्तर सुनकर अतिथि बहुत प्रसन्न हुआ।
कुछ साल बाद शेखचिल्ली इस बुजुर्ग मेहमान का दामाद बन गया।
Moral of the story: कहानी से सीख:
Best Moral Story in Hindi: जब तक आप डर का सामना नहीं करेंगे, तब तक डर आपको सताएगा।