Kahani Hindi Mein | Murkh Bagula Aur Nevla Ki Kahani | मूर्ख बगुले और नेवले की कहानी

Kahani Hindi Mein | Murkh Bagula Aur Nevla Ki Kahani

 

मूर्ख बगुले और नेवले की Kahani Hindi Mein

प्राचीन समय में एक बहुत ही पुराना जंगल था उस जंगल में कई वर्षो पुराना बरगद का एक घना वृक्ष था।

उस वृक्ष को एक बगुले ने अपना घर बनाया हुआ था।

उसी वृक्ष की जड़ो में एक सांप ने अपना बिल बना रखा था और सांप भी उसी बिल रहता था ।

वह सांप बहुत दुष्ट था। सांप इतना दुष्ट था की अपनी भूख के कारण बगुले के बच्चों को निगल लेता था।

इसी वजह से बगुला बहुत दुखी रहता था।

एक बार की बात है, सांप की क्रूरता से देखकर बगुला दुखी होकर नदी के तट पर बैठ गया।

अचानक उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े।

बगुले को रोता देख एक केकड़ा नदी से निकला और बोला, “अरे भाई, क्या बात है?

यहाँ बैठे-बैठे आँसू क्यों बहा रहे हो? समस्या क्या है?”

 

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केकड़े के शब्दों को सुनकर बगुला ने उत्तर दिया, “क्या कहूं केकड़ा भाई, मैं उस सांप से परेशान हूं।

वह अक्सर मेरे बच्चों को खाता है। मैं कितना भी ऊंचा घोंसला बना लूं, वह हमेशा ऊपर जाता है।

अनाज का पानी लेने के लिए घर से कहीं जाना भी मुश्किल हो जाता है। आप कोई उपाय बताएं।”

बगुले को इतना दुखी देख कर केकड़े सोचा की ये बगुला भी तो बहुत दुष्ट है।

वो भी तो अपनी भूख मिटने के कारण केकड़ो को अपना शिकार बनाता है।

क्यों न में एक ही युक्ति से बगुले और सांप दोनों को खत्म कर दू ।

ऐसा सोच केकड़े ने अंत में एक उपाय निकल ही लिया ।

उसने बगुले से कहा, “एक काम करो बगुला भाई।

तुम्हारे वृक्ष से कुछ मील की दूरी पर नेवला बिल है।

तुम सांप के बिल से मांस के टुकड़े फैलाते हो। , यह साँप को भी मार डालेगा।”

बगुले ने इस युक्ति को ठीक समझा और बगुले ने केकड़े के अनुसार ही किया।

लेकिन उसे इसका परिणाम भुगतना पड़ा।

जैसे ही नेवला मांस खाता हुआ उस वृक्ष के समीप आया तो उसने सांप के साथ साथ बगुले को मार कर खा लिया।

 

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Moral of the story: कहानी से सीखो

दोस्तों इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि किसी की बात पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए।

साथ ही इसके दुष्परिणामों और दुष्परिणामों के बारे में भी सोचना चाहिए।

 

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