Moral stories in hindi for kids – Dadi Maa ki kahani :
1.) छोटी चिड़िया की कहानी:
बहुत समय पहले की बात है एक घने जंगल में एक चिड़िया रहती थी |
उसने जंगल की और भी चिड़ियाओं को अपनी सहेली बना रखा था
वह पुरे दिन उनके साथ घूमती खेलती और सारा दिन यहाँ वहाँ फुदकती रहती थी ऐसे ही दिन बीतते गए|
और चिड़िया को अपनी मस्ती में रहना पसंद था वो कोई भी काम करती और अपनी सहेलियों की मदद भी करती रहती थी|
और उसने थोड़ा बहुत दाना अपने खाने के लिए जोड़ लेती थी और जरूरत पड़ने पर अपनी सहेलियों को दे देती थी|
कुछ दिन बाद चिड़िया की तबियत अचानक से खराब हुई और अब उसे कमजोरी आने लगी|
इस कारण उसने अपनी सहेलियों से मिलना बंद कर दियाएक दिन उसकी कुछ सहेलिया उससे मिलने उसके घर गयी|
और उसका हाल चाल पूछाचिड़िया ने उनको अपनी हालत के बारे में बताया
और उनसे मदद मांगी चिड़िया की सहेलियों ने उसे मना कर दिया|
अब तो चिड़िया को बड़ा पशचाताप हुआ|
और वो सोचने लगी की उसने सहेलिया बनाने से पहले उन्हें परखा नहीं|
उनके साथ अपना कीमती वक्त बर्बाद कर लिया|
अब तो चिड़िया की आँखो में आँसू बहने लगे|
Moral of the story कहानी से शिक्षा -:इस कहानी से हमे यह शिक्षा मिलती है|
की हमे दोस्त बनाने से पहले उनको परख लेना चाहिए|
2.)अतिथि देवो भवः( अथिति (रिश्तेदार ) के सम्मान की कहानी )
एक बार की बात है की एक जंगल में एक वृक्ष पर एक कबूतर और कबूतरी रहते थे
कबूतर और कबूतरी अपने शांत स्वभाव के लिए जाने जाते है
और वह दोनों दिन भर भोजन की तलाश में जाते और शाम होने से पहले हमेशा अपने घर आजाते थे
और आपने आस पास रहने वाले अपने पड़ोसियों की भी देखभाल करते थे
जंगल के सभी पक्षी उनको बहुत प्यार करते और उनका सम्मान भी करते थे
ये बात सभी जगह फैल गयी और तभी देवताओ के राजा भगवान इन्द्र ने उनकी परीक्षा लेने की सोची और तत्काल ही वह मनुष्य रूप में धरती पर आये
और उन्होंने अपनी शक्ति से आंधी तूफान वर्षा जैसा मौसम बना दिया
भगवान इन्द्र उस जंगल में कबूतर के जोड़े के वृक्ष के नीचे आराम करने लगे
जैसे ही शाम हुई और कबूतर और कबूतरी लौट कर अपने घर आये तो उन्होंने उस अजनबी को अपने घोंसले के नीचे बैठा देखा
धीरे धीरे रात होने लगी और बारिश के कारण वो मनुष्य काँपने लगा
उस कबूतर के जोड़े ने सोचा की यह मनुष्य हमारा अथिति ( मेहमान ) है
और हमारी संस्कृति में अथिति को भगवान का रूप मानते है
अब उस जोड़े ने सोचा की हमे अपने मेहमान की रक्षा करनी चाहिए
उन दोनों ने अपना घोंसला नीचे गिरा दिया और दोनों ने पत्थर पर पत्थर मार कर आग लगा दी
जिससे भगवान इन्द्र का काँपना बंद हो गया परन्तु उन्हें बहुत तेज भूख लग रही थी
उन्होंने उस जोड़े से मदद मांगी खाने के लिए अब उस जोड़े ने फैसला किया की उस आग में दोनों कूद जाते है
और उन्हें खाकर ये मनुष्य अपनी भूख मिटा सकता है और अगले क्षण दोनों कबूतर और कबूतरी उस आग में कूद जाते है
और ऐसे वो दोनों अपना कर्तव्ये पूरा करते है और ये सब देख कर भगवान इन्द्र उन दोनों को अपनी गोद में उठाते है
तो देखते ही देखते उनका मायाजाल खत्म हो जाता है और भगवान इन्द्र कहते है की धन्य हो
तुम दोनों जिन्होंने अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए अपने प्राणों की बजी लगा दी
भगवान उन्हें आशीर्वाद और वरदान देकर अंतर्ध्यान हो जाते है
Moral of the story कहानी से शिक्षा :इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की अथिति भगवान के समान होते है
और हमे अपने अथिति को मान सम्मान देना चाहिए
Moral stories in hindi- दादी माँ की कहानी:
3.) A Golden bowl -सोने का कटोरा
बहुत समय पहले की बात है की एक गाँव में एक बूढी दादी और उसकी छोटी पुत्री रहती थी
उनके घर में कोई और नहीं था वे बहुत ही गरीब थी परन्तु कुछ सालो पहले उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी
फिर उनके जीवन में कुछ ऐसे अनहोनी हुई की दादी के घर में कमाने वाला कोई नहीं रहा
और उनके घर में परिवार के नाम पर वे दोनों अकेली ही रह गयी
उनके घर में पुराने से कुछ टूटे फूटे बर्तन ही थे|
उनका गाँव एक नदी के किनारे वसा हुआ था और उस गांव में दो बर्तन विक्रेता आते रहते थे|
जो पुराने बर्तनों के बदले में नए बर्तन देते थे और बदले में कुछ रूपये नए बर्तनों की कीमत के आधार पर रूपये भी लेते थे |
जब भी कोई विक्रेता उस गाँव में आता तो दादी की पुत्री हमेशा कहती थी|
की दादी माँ हमारे घर में भी एक पुराना कटोरा है जिसका उपयोग न जाने कब से हमने नहीं किया है|
आप कहे तो उस कटोरे के बदले में कोई भी छोटा बर्तन ले लेते है|
दादी ने छोटी लड़की को समझाया के उस पुराने कटोरे का कोई मोल नहीं है|
उसे कोई नहीं लेगा वो कटोरा बहुत ही पुराना है|
कुछ समय बाद उस गली में बर्तन विक्रेता ने आवाज लगाई बर्तन ले लो|
बर्तन पुराने के बदले में नए बर्तन ले लो जैसे ही छोटी लड़की ने बर्तन बाले की आवाज सुनी वो झट से भागी|
और अपनी दादी माँ से बोली की चलो दादी माँ अपने पुराने कटोरे के बदले में कुछ नया बर्तन ले लेते है|
जैसे ही लड़की उस पुराने कटोरे को लेकर दादी के साथ बर्तन बाले के पास गयी|
और बोली के हमें इस कटोरे के बदले कोई भी नया बर्तन दे दो|
उस बर्तन विक्रेता ने उस कटोरे को छोटी लड़की के हाथ ले लिया|
और उसको देखते ही पहचान गया की ये कटोरा किसी बहुमूल्य धातु का है|
और उसने एक तार के टुकड़े से खरोंचा और उसने देखा की यह कटोरा सोने का है|
तो उस विक्रेता के मन में लालच आ गया और उसने नाटक करते हुए उस कटोरे को फेक दिया और कहा की ये कटोरा बेकार है|
और इसका कोई भी मूल्य नहीं है में इस कटोरे के बदले तुम्हे कुछ नहीं दे सकता और वह बुदबुदाते हुए वहाँ से चला गया|
छोटी लड़की का मन उदास हो गया उसने वो कटोरा धरती से उठाया|
और कहने लगी के ये विक्रेता लालची है में उस दूसरे विक्रेता को बेच दूंगी दादी ने कहा ऐसा नहीं है|
ये कटोरा बहुत पुराना और बेकार ही होगा तभी तो विक्रेता ने इसका कोई मूल्य नही लगया है|
अगले दिन फिर एक विक्रेता ने आवाज लगाई की बर्तन ले लो|
बर्तन और पुराने के बदले में नया बर्तन ले लो जैसे लड़की ने आवाज सुनी और अपनी दादी से कहने लगी|
की चलो ये विक्रेता ईमानदार लग रहा है और इसकी आवाज में भी ईमानदारी लगती है|
दादी के मना करने के बावजूद भी छोटी लड़की कटोरा लेकर उस विक्रेता के पास गयीं|
और बोली के मुझे इस कटोरे के बदले कोई भी छोटा बर्तन दे दो|
विक्रेता ने उस कटोरे की जाँच की और बोलै दादी माँ ये कटोरा बहुत ही मूल्य बान है|
और उसने कहा की में इसके बदले आपको सरे बर्तन और रूपये दे दू तो भी इसका मूल्य नहीं चुका सकता|
बूढी दादी ने कहा परन्तु बेटे कल भी एक बर्तन बाला आया था|
उसने तो इस कटोरे को बेकार बता कर फेंक दिया था|
विक्रेता ने कहा नहीं उसने झूठ कहा होगा ये कटोरा सोने का है|
और उसका उपयोग न करने से इसकी चमक दब गयी है|
दादी ने उस विक्रेता से उस कटोरे के बदले उसके सारे बर्तन और कुछ रूपये ले लिए और कटोरा उसको दे दिया|
और दादी ने उसकी ईमानदारी की बहुत प्रशंसा की और विक्रेता ख़ुशी ख़ुशी वह से चला गया|
उस विक्रेता के जाने के बाद पहले बाला विक्रेता वहाँ आया|
और दादी माँ से बोलै के लाओ वो कटोरा ले आओ में उसके बदले आपको कुछ दे सकता हूँ|
दादी ने वोला की तुम्हारे जाने के बाद एक दूसरा विक्रेता आया था और उसने उस कटोरे को खरीद लिया|
जिस कटोरे को तुमने बेकार बताया था वो सोने का था और उसके बदले उस ईमानदार विक्रेता ने हमे सारे बर्तन और बहुत सा धन दिया है|
अगर तुम लालच नहीं करते और झूठ नहीं बोलते,
तो वो सोने का कटोरा तुम्हारा होता अब तो इतना सुनकर लालची विक्रेता का सिर शर्म से झुक गया|
और मन ही मन पश्चाताप करने लगा और खाली हाथ वह से चला गया |
Moral of the story -कहानी से शिक्षा: इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हमे लालच नहीं करना चाहिए| और हमे कभी भी
झूठ नहीं बोलना चाहिए
Dadi maa ki kahani
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