तेनालीराम और लाल मोर की कहानी
कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य के राजा थे, जिन्हें जानवरों और पक्षियों के साथ-साथ अद्भुत और अनोखी चीजों का भी बहुत शौक था।
यही वजह थी कि मंत्रियों से लेकर दरबारियों तक वे हमेशा अनोखी चीजों की तलाश में रहते थे।
वे न केवल महाराजा को अनोखी चीजें देकर उन्हें खुश करना चाहते थे,
बल्कि वे उससे उपहार और पैसे भी वसूलना चाहते थे।
एक बार महाराजा का एक दरबारी उसे खुश करने के लिए डायर से एक अनोखा लाल रंग का मोर लाया।
दरबारी सीधे महाराज के पास ले आया और कहा, ‘महाराज, मैंने इस अनोखे मोर को मध्य प्रदेश के घने जंगलों से मंगवाया है।
‘ महाराज ने भी उस मोर को देखा और वे हैरान रह गए।
उन्होंने कहा, ‘लाल मोर, यह वास्तव में अद्भुत है।
और यह शायद ही कहीं मिलेगा। मैं इसे अपने बगीचे में बहुत सावधानी से रखूंगा। ठीक है।
अब मुझे बताओ कि तुमने इसे पाने के लिए कितना पैसा खर्च किया?’
दरबारी उसकी बड़ाई सुनकर बहुत खुश हुआ और कहा, ‘महाराज, मैंने आपके लिए इस अनोखे मोर को खोजने के लिए अपने दो नौकरों को लगाया था।
ये दोनों पूरे देश के दौरे पर निकले थे. कई सालों से इस अद्भुत चीज की तलाश में थे।
सालों की खोज के बाद अब उन्हें यह लाल रंग का मोर मिल गया है। ये सब करने मेरे लगभग 25000 रूपये ख़र्च हो चुके है ।
राजा ने आदेश दिया की इस दरबारी को उसके 25000 का भुगतान कर दिया ।’
Tenaliram ki kahani hindi mein
इसके साथ ही राजा ने यह भी कहा कि ‘यही वह पैसा है जो तुमने खर्च किया है।
इसके अलावा एक हफ्ते बाद आपको पुरस्कार भी दिया जाएगा।’
यह सुनकर दरबारी खुश हो गया और तेनाली को देखकर मुस्कुराया। इस मुस्कान से तेनाली को सारी बात समझ में आ गई।
लेकिन मौका देखकर उन्होंने चुप रहना ही सही समझा।
तेनाली इस बात को अच्छे से जान चुके थे की लाल रंग का मोर होता ही नहीं है ये निश्चय ही दरबारी कोई साजिश है।
अगली सुबह तेनालीराम वही व्यक्ति जिसने मोर को लाल रंग से रंग दिया था।
तेनालीराम चार पाँच मोर और उसी व्यक्ति के पास ले गए और उन मोरों को रंगवा कर दरबार ले आये ।
उसने दरबार में कहा, ‘सर, हमारे दरबारी मित्र पच्चीस हजार में एक मोर ही लाए थे।
लेकिन मैं पचास हजार में चार और सुंदर मोर लाया हूं।’ राजा उन मोर को देखकर आकर्षित हुआ।
क्योंकि वे मोर सच्चे हैं मैं बहुत सुंदर और चमकदार लाल था।
इसके बाद राजा ने तेनाली को पचास हजार रुपये देने का आदेश दिया।
यह सुनकर तेनाली ने दरबार में बैठे एक व्यक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यह मैं नहीं बल्कि यह कलाकार है।
जो इस पुरस्कार का पात्र है। इस कलाकार ने नीले मोर को लाल कर दिया है।
यह किसी भी चीज का रंग बदल सकता है, इसमें यह कला है।
यह सुनकर महाराज को सब समझ में आ की इस दरबार में रहने वाले दरबारी ने ही विश्वासघात किया है।
राजा ने तुरंत दरबारी को दिए गए पच्चीस हजार वापस करने का आदेश दिया और पांच हजार का जुर्माना भी लगाया।
इसके साथ ही उन्होंने कलाकार को एक अवॉर्ड भी दिया।
Moral of the story कहानी से सीखो
इस कहानी में दो सबक हैं। पहला, कभी भी लालची नहीं करना चाहिए
और दूसरी बात यह है कि कभी भी किसी सुंदर चीज को देखकर जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेना चाहिए।