Panchtantr ki kahani : Bhagy ka bharosha
एक बार की बात है, घने जंगल के अंदर एक बड़ा तालाब था।
उस तालाब में कई मछलियाँ रहती थीं, जिनमें से तीन मछलियाँ आपस में घनिष्ठ मित्र थीं।
तीनों का स्वभाव बिल्कुल अलग था। उनमें से दो बहुत बुद्धिमान थी । पहला संकट आने से पहले वह अपना बचाव करती थी।
दूसरी मुसीबत में अपनी रक्षा करती थी , जबकि तीसरी सब कुछ किस्मत पर छोड़ देती थी ।
तीसरी मछली कहती थी किस्मत पर संकट आए तो हम कुछ नहीं कर सकते
और अगर किस्मत में नहीं तो कोई हमारे लिए कुछ नहीं कर सकता।
एक दिन पास से गुजर रहे एक मछुआरे ने तालाब को देखा।
उसने देखा कि तालाब मछलियों से भरा हुआ है। उसने तुरंत अपने बाकी साथियों को इसके बारे में बताया।
मछुआरे और उसके साथियों ने अगली सुबह यहाँ आकर उन मछलियों को पकड़ने का फैसला किया,
लेकिन एक मछली ने मछुआरे और उसके साथियों के बीच की बातचीत को सुन लिया था।
उसने तुरंत तालाब में रहने वाली सभी मछलियों को इकट्ठा किया और सब कुछ बताया।
पहली मछली ने कहा कि शायद कल मछुआरे आकर हमें जाल में पकड़ लेंगे।
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इससे पहले हमें यह जगह छोड़ देनी चाहिए।
फिर तीसरे नंबर की मछली ने कहा कि कल नहीं आये तो?
यह हमारा घर है, हम इसे कैसे छोड़ सकते हैं? अगर किस्मत में लिखा है तो हम जहां हैं वहीं मारे जाएंगे।
और अगर नहीं लिखा तो हमें कुछ नहीं होगा। कुछ मछलियों ने तीन नंबर की मछलियों को स्वीकार किया।
और वहीं रुक गईं। बाकी दो मछलियाँ तीसरी मछली को समझाने में असमर्थ थीं।
इसलिए उन्होंने बाकी के साथ तालाब छोड़ दिया। अगले दिन मछुआरे और उसके साथियों ने जाल डाला।
जो मछलियाँ बची थीं वे पकड़ी गईं। जो मछलियाँ भाग गईं, वे बच गईं और जो तालाब में रह गईं।
उन्हें मछुआरों ने पकड़ लिया। मछुआरे ने उन्हें एक टोकरे में डाल दिया, जहाँ वे सभी तड़प-तड़प कर मर गयी ।
कहानी से सबक: Moral of the Story :
हमें कभी भी भाग्य पर भरोसा नहीं करना चाहिए। संकट आने से पहले उससे उबरने का उपाय सोचना चाहिए।