पंचतंत्र की कहानी :शेर और चूहे की कहानी |
बहुत समय पहले की बात है की एक जंगल के पास एक बड़ी सी गुफा थी।
उस गुफा में जंगल का राजा रहता था शेर अपना शिकार करने के बाद उस गुफा में आराम करता था।
उसी जंगल में एक शरारती चूहा रहता था दिन भर इधर उधर घूमना ही उसका काम था।
एक दिन चूहा शेर की गुफा के पास उछल कूद क्र रहा था अचानक उसे शेर के खर्राटे की आवाज आयी।
चूहे के मन में एक शरारत सूझी चूहा तुरंत ही शेर की गुफा में चला गया।
और सोते हुए शेर के ऊपर उछल कूद करने लगा।
चूहे की शरारत से शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने नुकीले हिस्से में पकड़ लिया।
जब चूहे ने शेर के पंजे में खुद को पाया तो वह समझ गया था।
कि उसे शेर के गुस्से से कोई नहीं बचा सकता और आज उसकी मौत निश्चित है।
चूहा बुरी तरह डर गया और रोते हुए शेर से याचना करने लगा कि शेर जी, मुझे मत मारो, मुझसे गलती हो गई है।
, मुझे जाने दो। यदि आप मुझे आज जाने देते हैं।
, तो भविष्य में जब भी आपको आपके उपकार के बदले में किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता होगी।
मैं आपकी सहायता करूँगा।
चूहे की बातें सुनकर शेर हंस पड़ा। शेर ने कहा कि तुम खुद बहुत छोटे हो, मेरी क्या मदद करोगे?
चूहे की विनती सुनकर शेर को उस पर दया आई और उसने चूहे को छोड़ दिया।
Panchtantra short stories in hindi
चूहे ने शेर को धन्यवाद दिया और वहां से निकल गया।
कुछ दिनों बाद जब शेर भोजन की तलाश में इधर-उधर घूम रहा था।
तभी अचानक एक शिकारी के जाल में फंस गया।
शेर ने खुद को जाल से बाहर निकालने की बहुत कोशिश की, लेकिन निकल नहीं पाया।
काफी देर तक कोशिश करने के बाद शेर मदद के लिए दहाड़ने लगा।
उसी समय चूहा वहां से गुजर रहा था कि उसने शेर की दहाड़ सुनी।
वह शेर के पास भागा और शेर को जाल में फंसा देख चौंक गया।
बिना देर किए उसने अपने नुकीले दांतों से जाल काटना शुरू कर दिया और कुछ ही देर में उसने पूरा जाल काट दिया।
और शेर को मुक्त कर दिया। चूहे की इसी मदद से शेर की आंखें भर आईं और नम आंखों से शेर ने चूहे को धन्यवाद दिया।
और दोनों वहां से चले गए। फिर शेर और चूहा अच्छे दोस्त बन गए।
Moral of the story :कहानी से सीखो
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें केवल शरीर के आधार पर किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए।
साथ ही हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए, क्योंकि जब हम दूसरों की मदद करेंगे तभी कोई हमारी मदद के लिए आगे आएगा।