Pyasa Kauwa Ki Kahani in Hindi
प्यासे कौवे की कहानी इन हिंदी
बहुत समय पहले की बात है की एक बार सूखा पड़ी मतलब बारिश नहीं हुई।
और जंगल के आस पास के सभी तालाब और जलाश्य सूखने लगे तो पशु और पक्षियों को पानी की बड़ी किल्लत होने लगी।
उसी समय एक कोवा था उस बहुत प्यास लगी थी ।परन्तु उसे किसी भी जलाशय में पानी नहीं मिला।
वह सुबह से दोपहर तक पानी की तलाश में इधर उधर भटकने लगा ।
परन्तु उसे पिने के लिए कहीं पानी नहीं दिखाई दिया उड़ते उड़ते कोवा एक किसान की झोपडी पर पहुंच गया।
वहाँ उसे किसान का पानी से भरा एक घड़ा दिखाई दिया।
लेकिन पानी इतना कम था की कौवा उस घड़े से आसानी से पानी नहीं पी सकता था तो कौवा तनिक भी हताश नहीं हुआ।
और उसने सोचा की इस पानी को ऊपर तक लेन के लिए कोई तो उपाय होगा और तुरंत ही उसने एक योजना बनाई।
की क्यों ना में इस घड़े में कंकड़ और पत्थर डाल दू जिससे घड़े का पानी ऊपर आजाये और में पानी पी सकू।
कौवा बड़ी मेहनत करके एक एक कंकड़ अपनी चोंच में दबा कर लाता और घड़े में डाल देता।
कौवे ने तब तक कंकड़ पानी में डाले जब तक की पानी घड़े में ऊपर नहीं आ गया और पानी ऊपर आ गया।
फिर काफी परिश्रम के बाद जब जल ऊपर की और आ गया, तो उसके बाद कौवे ने जी भरकर जल पिया और अपनी प्यास शांत की।
कहानी से सीख – Moral of the Story
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अपनी सूझबूझ से ही समस्या का हल ढूढ़ना चाहिए।
कभी भी पर हताश नहीं होना चाहिए।
और विषम परिस्थिति में भी हमे हिम्मत से काम लेना चाहिए और निरंतर मेहनत करते रहना चाहिए।