Premchand Ki Story In Hindi | Kafan

Premchand ki kahani Hindi Mein: Kafan

ये कहानी है गांव के हरिजन परिवार की है। उस परिवार में घीसू, उसका बेटा माधव और उसके गर्भवती पुत्रवधू यह तीन सदस्य थे।

घीसू और माधव दोनों अव्वल दर्जे के कामचोर और आलसी थे।

जब घर में उन्हें खाने को कुछ ना मिलता तो दोनों दूसरों के खेतों से मटर, आलू  चोरी करके अपना पेट भरा करते थे।

माधव का ब्याह बुधिया से कोई साल भर पहले हुआ था।ब्याह के बाद से वही बिचारी मेहनत मजदूरी करके निकम्मों का पेट पालती थी और सर्द रात भी।

दोनों बाप बेटे किसी के खेत से चुराए आलू अपने झोपड़े के द्वार पर बुझे अलाव के सामने भूनकर खा रहे थे।

उधर झोपड़ी के अंदर गर्भवती बुधिया प्रसव पीड़ा से तड़प रही थी। हाँ, मालूम होता है, बच्चे नहीं हुआ है अभी तक ।

Munshi Premchand story in hindi

सारा दिन इसको दुःख उठाते उठाते होगया अगर आज इसकी मृत्यु ही है तो मर ही जाए ये

बड़ा बेदर्दी है साल भर जिसके साथ सुख चैन से रहा, उसी के साथ उसका दुख नहीं बाँट सकता तु

मुझसे तो उसका तड़पना और हाथ पांव पटकना नहीं देखा जाता।

घीसू ने आलू निकालकर छीलते हुए कहा जाए तो क्या दशा है?

उसके माधव खो बैठा एवं कोठरी में गया तो घीसू।आलुओं का बड़ा भाग साफ कर देगा।

दोनों जल्दी जल्दी आलू को आग पर से उठा कर खाने लगे।

आलू खाकर दोनों ने पानी पिया और वहीं अलाव के सामने अपनी धोतियाँ ओढ़कर पांव पेट में डाले सो गए।

माधव अपनी कोठरी में जाकर देखा तो बुधिया मरी पड़ी थी।

माधव भागा हुआ किसी के पास आया।फिर दोनों ज़ोर ज़ोर से छाती पीटकर रोने लगे।

उनका रोना धोना सुन पड़ोस वाले उन्हें समझाने बुझाने लगे।

बाप बेटे रोते हुए गांव के जमींदार के पास गए।वो इन दोनों की सूरत से नफरत करता था।

वो कई बार इन्हें चोरी करने के लिए वादे पर काम ना आने के लिए अपने हाथों से पीट चुका था।

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घीसू, रोता क्यों है?अब तो कहीं दिखाई नहीं देता।इस गांव में रहना चाहता है या नहीं?

घीसू ने जमीन पर सिर रखकर आँखों में आंसू भरे हुए कहा ऑफर करा बड़ी विपत्ति मेँ हूँ।

वहाँ तो उसकी घर वाली रात को गुजर गयी।

सरकार की दया होगी तो उसकी मिट्टी उठेगी।यूं तो बुलवाने पर भी नहीं आता।

आज जब जरूरत पड़ी है तो आकर खुशामद कर रहा है। समझदार नहीं करते हुए दो रूपये निकालकर फेंक दिए।

जब जमींदार ने दो रूपये दिए, तो गांव के बनिये महाजनों को इनकार का साहस कैसे होता?

1 घंटे में घीसू के पास 5 रूपये की अच्छी रकम जमा हो गई।

इस रकम से दोपहर को घीसू और माधव बाजार से कफ़न लाने चले।

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इधर लोग अर्थी के लिए बांस काटने लगे।बाजार में पहुँचकर घीसू बोला लकड़ी तो उसे जलाने भर को मिल गई

अब तो चलो कोई हल्का सा कफ़न लेले हाँ और क्या लाश उठते उठते रात हो जाएगी रात को कफ़न कौन देखता है।

कैसा बुरा रिवाज है की जैसे जीते जी ढाँकने को जितना भी ना मिले उसे मरने पर नया कफन चाहिए।

कफ़न लाश के साथ जल्द ही तो जाता है।दोनों बाजार में इधर उधर घूमते रहे।

पूरा दिन बीत जाने पर दोनों आँखों आँखों में इशारेबाजी करते हुए शराबखाने पर पहुँच गए

और वहाँ से शराब की बोतल खरीदी और बरामदे में बैठकर शान्तिपूर्वक पीने लगे।

कई कुंजियाँ ताबड़तोड़ पीने के बाद दोनों सरूर में आ गए। घीसू बोला क्रोफार्म लगाने से क्या मिलता?

आपके कान नहीं दो जाता कुछ बहू के साथ तो ना जाता।बड़े आदमियों के पास धन है

भूखे हमारे पास बुक मेरे को क्या है?गांव वालों को क्या बोलेंगे की कफ़न क्यों नहीं लाए

घीसू ने अपने बेटे माधव को समझाते हुएबोला की गांव वालो को कह देंगे पैसे रास्तमे घूम हो गए ।

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लोगों को विश्वास न आएगा, लेकिन फिर वही रुपये देंगे।बड़ी अच्छी थी।

बेचारी मरी भी तोपर हमें इतना स्वादिष्ट खाना और शराब देकर  मरी आँधी बोतल से ज्यादा उड़ा देने के बाद कई सुनें।

शराबखाने के सामने ही दुकान से  पूरिया चटनी, अचार,  मंगवाया

माधव डेढ़ रुपया खर्च करके सामान ले आया।

अब सिर्फ थोड़े से पैसे ही बचे थे। दोनों इस वक्त शान में बैठे पूरा खा रहे थे। ना जवाब देही का खून था।

ना बदनामी की फिक्र।इन सब भावनाओं को उन्होंने बहुत पहले ही जीत दिया था।

एक क्षण के बाद माधव के मन में एक शंका जागी।क्यों?

टाटा हमलोग भी एक ना 1 दिन वहाँ जाएंगे ही। घीसू ने इस भोले भाले सवाल का कुछ उत्तर न दिया।

इतनी आगे की सोच कर घीसू अपने मज़े में खलल नहीं डालना चाहता था

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फिर माधव ने दोबारा अपने बाप को कहा की गांव बालों को कफ़न के बारे में क्या बताओगे

उसको कफ़न भी नहीं मिलेगा तो माधव से पूछा की तुझे कैसे पता की उसको कफ़न नहीं मिलेगा

तुम मुझे ऐसा कथा समझता है।उसको कफ़न मिलेगा और बहुत अच्छा मिलेगा।

तू कैसे जानता है कि उसे कफ़न ना मिलेगा।

तू  मुझे इतना पागल समझता है उसको कफ़न  मिलेगा और बहुत अच्छा मिलेगा।

कौन देगा रुपये?तुमने चट कर दिया।वो तो मुझसे पूछेगी उसकी मांग में तो संदूर मैने डाला था।

कौन देगा रुपये, बताते क्यों नहीं?वही लोग देंगे जिन्होंने अबकी दिया।

हाँ अबकी रुपये हमारे हाथ ना आयेंगे।जी दोनों बाप बेटे अभी मज़े ले लेकर चुसकियाँ ले रहे थे।

दोनों के भरपेट खाने के बाद माधव ने बची हुई पुण्यों का पत्थर उठाकर एक भिखारी को दे दिया।

जो खड़ा इनकी ओर भूखी आँखों से देख रहा था और इस दान के आनन्द का अपने जीवन में पहली बार अनुभव किया।

ले जा, खूब खा और आशीर्वाद।जिसकी कमाई  है वो तो मर गयी

मगर तेरा आशीर्वाद उसे जरूर ही मिलेगा

अचानक माधव बोला मगर दादा बेचारी ने ज़िन्दगी में बड़ा दुख झेला ।

Munshi Premchand story in hindi

कितना दुख झेलकर मरी।वो आँखों पर हाथ रखकर रोने लगा कि सुनें, समझाया क्यों रोता है बेटा खुश हो की वो मायाजाल से मुक्त हो गयी,

जंजाल से छूट गयी बड़ी भाग्यवान थी जो इतनी जल्दी मोह माया के बंधन।तो उड़ती है।

पियक्कड़ों की आंखें उनकी ओर लगी हुई थी और ये दोनों अपने दिल में मस्त नाचते उछलते, कूदते, नशे में मदमस्त होकर वहीं गिर पड़े।

और उधर गांव में बेचारी बुधिया की लाश का अंतिम संस्कार गांव वालों ने जैसे तैसे कर दिया।

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