Panchtantra short stories Hindi mein | Raja Aur Murkh Bandar Ki Kahani

 Panchtantra short stories राजा और मूर्ख बंदर की कहानी |

बहुत समय पहले एक राजा के पास एक पालतू बंदर था।

राजा को उस वानर पर बहुत विश्वास था, क्योंकि वह वानर राजा का भक्त था।

बंदर पूरे मन से राजा की सेवा करता था, लेकिन बंदर मूर्ख था। वह किसी भी कार्य को ठीक से समझ नहीं पाता था।

राजा जब भी विश्राम करता, वानर उसकी सेवा के लिए प्रकट होता था।

वह उनके लिए हाथ का पंखा चलाता था। एक दिन की बात है, जब राजा सो रहा था

और बंदर उसके लिए पंखा उड़ा रहा था, तभी एक मक्खी चहकती है और राजा के ऊपर बैठ जाती है।

बंदर उस मक्खी को बार-बार पंखे से दूर भगाने की कोशिश करता है,

लेकिन मक्खी उड़कर राजा की छाती पर, कभी सिर पर तो कभी जांघ पर बैठ जाती थी।

मूर्ख बंदर काफी देर तक ऐसे ही भागने की कोशिश करता रहा, लेकिन मक्खी वहां से जाने का नाम ही नहीं ले रही थी।

यह देखकर बंदर क्रोधित हो जाता है और पंखे को छोड़कर तलवार निकाल लेता है।

जब मक्खी राजा के माथे पर बैठ जाती है तो बंदर तलवार लेकर राजा की छाती पर चढ़ जाता है।

यह देखकर राजा बहुत डर जाता है। फिर मक्खी माथे से उड़ जाती है।

इसलिए बंदर उसे मारने के लिए हवा में तलवार चला देता है।

इसके बाद मक्खी राजा के सिर पर बैठ जाती है, फिर वानर की तलवार से राजा के बाल काट दिए जाते हैं।

और जब वह मूछों पर बैठ जाता है तो मूछें काट दी जाती हैं।

यह देख राजा अपनी जान बचाने के लिए कमरे से भाग जाता है और बंदर तलवार लेकर उसके पीछे भागता है।

इससे पूरे महल में खलबली मच गई है।

कहानी से सीखो

इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी मूर्ख को ऐसा कार्य न सौंपें, जो आपको बाद में ही संकट में डाल दे।

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