Khargosh aur Kachhua ki kahani | खरगोश और कछुए की कहानी

कछुए की और खरगोश की कहानी

प्राचीन समय की बात है की बहुत घने जंगल के पास एक छोटा तालाब भी था।

उस जंगल में बहुत सारे पशु पक्षी रहते थे उस जंगल में एक गपोड़ी नामक एक खरगोश भी रहता था।

वह दिन भर पूरे जंगल में दौड़ता और बार बार तालाब जा कर पानी पीता था।

उसको अपनी तेज रफ़्तार पर बहुत ही घमंड था।

वो जहाँ भी जाता सभी जानवरों को बहुत परेशान करता था।

उन्हें छेड़ता उनका नुकसान करता और पलक झपकते ही वहाँ से भाग जाता था ।

सभी जानवर उससे बहुत ही परेशान थे गपोड़ी खरगोश सबको अपने साथ दौड़ लगाने की खुली चुनौती देता था।

परन्तु सभी को पता था की गपोड़ी की रफ्तार बहुत तेज़ है उससे जितना इतना आसान नहीं था।

तो इसलिए कोई भी उसकी चुनौती स्वीकार नहीं करता था।

और चुपचाप चला जाता तो गपोड़ी सबका बहुत ही मज़ाक बनाता था।

एक दिन गपोड़ी खरगोश जंगल में सैर सपाटा कर रहा था।

तभी वहां से एक कछुए का जोड़ा जा रहा था उनको देख कर गपोड़ी बहुत जोर जोर से हँसने लगा।

और कहने लगा की इस जन्म में इस जंगल को पार कर सकते हो भाई,

ऐसा कहकर गपोड़ी उन दोनों का मज़ाक बनाने लगा।

Moral stories in hindi for class 7

उनमें से एक कछुआ जिसका नाम टपकू था उसने गपोड़ी की दौड़ चुनौती स्वीकार कर ली।

अब तो पूरे जंगल में ये दौड़ की खबर बहुत तेज़ी से फैल गयी।

पूरा जंगल उन दोनों की दौड़ को देखने के लिए एकत्रित हो गए।

और एक निश्चित दूरी तय की गयी अब ये देखना था की  पहले उस दूरी को तय करता है।

दोनों अपनी अपनी जगह दौडने के लिए तैयार हो गए।

 जंगल के राजा शेर ने उन्हें दौडने के लिए हाथ हिला कर इशारा कर दिया।

इशारा देखते ही गपोड़ी ने एक छलाँग लगाई and  बहुत दूर तक चला गया।

और कछुआ तो धीरे धीरे चलने लगा उसको धीरे धीरे चलते देख कर गपोड़ी ने सोचा की ये तो बहुत धीरे चल रहा है।

मैं दो-दो या तीन छलाँग में इस दौड़ को जीत ही लूंगा तब तक में आराम कर लेता हूँ।

ऐसा सोच कर गपोड़ी एक वृक्ष के नीचे लेट गया उसे नींद आ गयी।

परन्तु कछुआ बिना रुके धीरे धीरे अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता ही चला गया।

जंगल के सभी जानवर कछुए और खरगोश की दौड़ देखने के लिए जमा हो गए।

बहुत देर बाद अचानक गपोड़ी खरगोश की आँखे खुली।

और उसने जैसे ही छलांग लगाई उसने देखा की कछुआ  उससे पहले ही उस दूरी पर पहुंच चुका है।

उसने ये दौड़ जीत ली अब तो गपोड़ी को अपनी मूर्खता पर बहुत ही पछतावा हुआ और शर्म से उसका सिर झुक गया।

उसने ये स्वीकार कर लिया की किसी को भी अपने से कम नहीं समझना चाहिए।

अपने ऊपर अंहकार नहीं करना चाहिए।

सभी जानवर कछुए की जीत पर ताली बजाने लगे और खुश होने लगे।

सभी जानवरो ने भी कछुआ से सीखा की हमे बिना किसी काम को किये बिना ही हार नहीं माननी चाहिए।

कहानी से शिक्षा:

कछुआ और खरगोश की कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?

इस कहानी से यही शिक्षा  मिलती है की हमे बिना मेहनत किये हार नहीं माननी चाहिए।

अपने ऊपर अहंकार नहीं करना चाहिए व किसी को भी अपने से कम नहीं आंकना चाहिए।

1 thought on “Khargosh aur Kachhua ki kahani | खरगोश और कछुए की कहानी”

Comments are closed.

Exit mobile version