Ghamandi kulhadi ki kahani in hindi | घमंडी कुल्हाड़ी की कहानी हिंदी में

Ghamandi kulhadi  Story in Hindi

यह बहुत पुराना किस्सा है कि एक बार कुल्हाड़ी और एक बड़े लकड़ी के लट्ठे में बहुत बड़ी लड़ाई हो गयी।

दोनों अपने अपने आपको अधिक शक्तिशाली होने का दावा कर रहे थे।

परन्तु एक समय के बाद लकड़ी के डंडे ने अपनी हार स्वीकार कर ली।

और वह चुपचाप बैठ गया परन्तु कुल्हाड़ी  अहंकार के चलते आगे बोलती ही जा रही थी।

कुल्हाड़ी से अधिक घमंड था।तो वह अपने घमंड में चूर होकर बोली अरे और लकड़ी के लट्ठे “तुने अपने आप को क्या समझ कर रखा है?”

तुम्हारी शक्ति मेरी शक्ति के सामने कुछ भी नहीं है “मैं चाहूं तो कितने भी बड़े जंगल को कुछ ही दिनों में आसानी से काट सकती हूँ।”

मैं।धरती।गड्ढा भी कर सकती हूँ।मैं दुनिया में कोई भी चीज़ आसानी से काट सकती हूँ।

और तुम्हारे जैसा लकड़ी का लट्ठा।मेरी तुलना में कुछ भी नहीं है।

बाद लकड़ी के लट्ठे ने कहा, कुल्हाड़ी, बहिन।जो तुम कह रही हो अवश्य रूप से वह सत्य हैं।

परंतु तुमने एक चीज़ पर गौर नहीं किया।कि तुम बेशक जंगल में पेड़ों को काट सकती हो, धरती में गड्ढा भी कर सकती हो

परंतु तुम मेरे बिना उस काम को नहीं कर सकतीं।

अब तो खिलाड़ी का गुस्सा और भी अधिक बढ़ गया।

और उसमें चिल्लाते हुए लकड़ी के डंडे से कहा क्यों?मुझमें ऐसी क्या कमी है?

जिसके कारण मुझे तुमसे सहायता लेनी पड़े।

डंडा बोला अरे, बहन, इतना नाराज क्यों होती हो?

Hindi Kahani

अगर मैं तुम्हारी मदद।करने से मना कर दू?

तो तुम ना तो जंगल में लकड़ी काट सकती हो नहीं, धरती में गड्ढा कर सकती हो।

जब तक तुम्हारे पिछले सिरे में।मैं।हट था।बनकर तुम्हारे रूप को पूर्ण कर दूँ।

तब तक तुम से काम करने वाला कोई भी व्यक्ति तुम को नहीं पकड़ पाएंगे।

मेरे बिना तुम्हारा जीवन अधूरा है।

अगर किसी को डाली डाली में अगर किसी कुल्हाड़ी मेंउसका हैंडल नहीं होगा।

तो लोग उसको बेकार की चीज़ मानेंगे  लकड़ी के डंडे की बातें सुनकर कुल्हाड़ी का सर शर्म से नीचे झुक गया।

और लकड़ी के डंडे ने कहा जैसे कभी एक हाथ से ताली नहीं बज सकती।

ठीक उसी प्रकार कुल्हाड़ी लकड़ी के डंडे के बिना काम नहीं कर सकतीं।

Moral of the Storyकहानी से मिलने वाली शिक्षा :

इस कहानी से मिलने वाली शिक्षा कि इस संसार में सभी छोटी बड़ी चीजों को एक दूसरे की सहायता की जरूरत कभी न कभी जरूर पड़ती है।

इसलिए हमे।सभी का सहायक बनना चाहिए।

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