Ekta Me Bal Story in Hindi | एकता में बल हैं | Moral story | Panchatantra Ki Kahaniya | Hindi Kahaniya 24-Sep-2024

Ekta me bal hai short story in hindi – एकता में बल कहानी इन हिंदी

 

Ekta Me Bal Story: एकता में बल हैं-

एक नदी के पास पहाड़ की तलहटी में एक गिलहरी, खरगोश, गुरिल्ला और हाथी ही रहा करते थे। वे एक दूसरे के बहुत अच्छे मित्र थे।

एक दिन सुबह गिलहरी एक पेड़ पर चढ़ गए और रोज़ की तरह व्यायाम करना शुरू कर दिया।

पेड़ के नीचे से बहती नदी का पानी तेजी से ऊपर उछला और धमाके के साथ नदी पर बना लकड़ी का पुल टूट गया।

गिलहरी नीचे कूद गयी, खरगोश उछलता कूदता वहाँ पहुंचा, वह चिंतित होकर बोला। पुल टूट गया। अब हम क्या करें?

गोरिल्ला झूमता हुआ आया उससे भी कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। चिंता मत करो। हाथी ने अपनी सूँड़ हिलाते हुए कहा, यदि हम सब मिलकर काम करें to नया पुल बना सकते हैं।

 

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गिलहरी रस्सी लेने के लिए घर चली गयी। खरगोश टोकरियाँ बनाने चला गया, गोरिल्ला अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज करने चला गया।

हाथी पल्ली लाने के लिए चल दिया और उनके पुल बनाने की योजना को झाड़ियों में छिपे एक लोमड़ी ने सुन लिया। वह उनकी योजना को विफल करने का उपाय सोचने लगी।

लोमड़ी गोरिल्ला के घर जा पहुंची। गोरिल्ला कुल्हाड़ी की धार तेज कर रहा था, लोमड़ी उससे बोली। तुम गिलहरी और खरगोश के लिए इतना कठिन काम क्यों कर रहे हो? तुम तो ज्यादा ताकतवर हो। गोरिल्ला को लगा कि यह लोमड़ी ठीक ही कहती है उसने कुल्हाड़ी एक तरफ रख दी। इसके बाद लोमड़ी खरगोश के घर गयी।

वह टोकरी बनाने के काम में लगा था, लोमड़ी ने उसे धमकी दी। मैं तुम्हें वो पुल नहीं बनाने दूंगी, अगर तुमने घर से बाहर कदम रखा तो मैं तुम्हें समूचा निकल जाउंगी। खरगोश की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी, जबकि गिलहरी रस्सी लेकर नदी के किनारे पहुंची तो हाथी पहले से ही अपने सूँड में बल्ले पकड़े वहाँ मौजूद था।

उन्होंने गोरिल्ला और खरगोश का काफी देर तक इंतजार किया पर वे ना आये। गिलहरी ने दुखी होकर हाथी से कहा वे दोनों नहीं आएँगे,आओ हम स्वयं पूल बनाये।

वे दोनों पुल बनाने के काम में जुट गए। थोड़ी ही देर में उनको पता चल गया की गोरिल्ला और खरगोश के बिना वे पुल नहीं बना सकते।

हाथी और गिलहरी खरगोश के घर गए, वहाँ उन्हें सारी बात पता चली। जब पिछली बार लोमड़ी ने तुम्हारे घर पर कब्जा करने की कोशिश की थी

तब हम सबने मिल कर उसे खदेड़ दिया था हाथी ने कहा।

एक होकर हम सब ताकतवर हो जाते हैं, और किसी शत्रु से नहीं डरते गिलहरी ने कहा ।

खरगोश बोला तुम ठीक कहती हो हम सब मिल जुल कर पुल बना सकते हैं। और लोमड़ी को हरा भी सकते हैं।

इसके बाद तीनों गुरिल्ला से मिलने उसके घर गए। हाथी ने रस्सी से एक धागा निकालकर उसके हाथ में पकड़ा दिया, जिससे गुरिल्ला ने आसानी से तोड़ दिया।

लेकिन सबूत जी रस्सी को वह अपना ज़ोर लगा कर भी नहीं तोड़ सका।

 

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गिलहरी बोली, एकता में ही ताकत है, सच है ना? गुरिल्ला ने सिर खुजलाते हुए कहा। मैं तो लोमड़ी के झांसे में आ गया था। फिर चारों दोस्त पुल बनाने के काम में जुट गए। उन्होंने लोमड़ी को फंसाने के लिए नदी के किनारे एक गड्ढा खोदा।

गुरिल्ला ने अपनी कुल्हाड़ी से जंगल के पेड़ काटकर गिरा आने लगा और हाथी उनको सूंड से उठाकर नदी के किनारे पहुंचने लगा। गिलहरी पेड़ के छिलके उतारने में लग गयी। ताकि खरगोश उनकी टोकरियाँ बना सके।

धीरे-धीरे पुल बनने लगा, तभी लोमड़ी दबे पांव वहाँ आ पहुंची। पुल बनते देखकर वह आगबबूला हो उठीं। वह रस्सी को काटने के लिए उछली और गड्ढे में जा गिरी। हाथी गड्ढे के पास आया और उसने लोमड़ी को अपने सूंड में लपेटकर ऊपर उछाल दिया।

वह पानी में डूब मरी। चारों दोस्तों ने मिलकर नया पुल तैयार कर ही दिया। यह देखो कितना सुन्दर दृश्य डूबते सूरज की लाली छाई हुई है और गिलहरी, खरगोश, गोरिल्ला तथा हाथी नए पुल को पार कर रहे हैं।

 

Moral of the Story: एकता ज़िंदाबाद!

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