Hindi Kahani Bhediya Aur Bakri के सात बच्चों की कहानी
Kahani Bhediya Aur Bakri Ki in Hindi – भेड़िया और बकरी
प्राचीन समय की बात है की एक घने जंगल में एक जंगली बकरी अपने परिवार के साथ रहती थी
उसके परिवार में उसके छोटे छोटे सात बच्चे रहते थे ।
उसी जंगल में एक भेड़िया भी रहता था, जिसकी नजर बकरी के बच्चों पर थी।
बकरी भी इस बात से वाकिफ थी, इसलिए वह अपने बच्चों को बताती रही कि उन्हें जंगली जानवरों से कैसे बचाया जाए।
बकरी हमेशा कहती थी कि भेड़िया बहुत चालाक होता है और उसकी आवाज भारी होती है और उसके पैर काले होते हैं।
अगर किसी को जंगल में ऐसा कुछ दिखे तो अपने आप को बचा लेना।
एक दिन बकरी को खाना लेने के लिए बहुत दूर जाना पड़ा।
उसने अपने सभी बच्चों को बुलाया और कहा कि जब तक वह वापस न आ जाए तब तक घर का दरवाजा न खोलें।
सभी बच्चों ने कहा कि वे अपना ख्याल रखेंगे और खुशी-खुशी मां को छोड़ गए।
बकरी के जाने के कुछ देर बाद ही भेड़िया वहां पहुंचा और दरवाजा खटखटाने लगा।
बकरी के बच्चों ने मिलकर पूछा कि यह कौन है। तब भेड़िये ने कहा कि बच्चों, मैं तुम्हारी माँ हूँ।
जवाब में बच्चों ने कहा कि हमारी मां की आवाज इतनी भारी नहीं है, तुम भेड़िया हो और हमें खाने आए हो।
भेड़िया और बकरी की स्टोरी इन हिंदी
तब भेड़िये ने सोचा कि बच्चे इतनी आसानी से नहीं आएंगे।
वह जानता था कि शहद चखने से आवाज बेहतर हो जाती है।
उसने जल्दी से जंगल के चारों ओर एक छत्ता पाया और शहद खा लिया।
तभी उसे मधुमक्खियों ने काट लिया। उसने अपना ख्याल रखा और फिर से बकरी के घर पहुंच गया।
भेड़िये ने फिर दरवाजा खटखटाया उस भेड़िये की मीठी आवाज को बकरी के बच्चे अपनी माँ की आवाज समझने लगे उन्हें लगा की दरवाजे पर उनकी माँ है
परन्तु जैसे ही उन्होंने दरबाजे के नीचे से उसके काले रंग के पैर देख लिए
सभी बच्चे चिल्लाए कि तुम हमारी मां नहीं हो सकती।
हमारी मां के पैर सफेद हैं, लेकिन तुम्हारे पैर काले हैं।
तुम एक भेड़िया हो अब फिर से भेड़िया खाली हाथ लौट आया।
वापस जाते समय रास्ते में उसने एक आटा चक्की देखी और झट से जमीन पर बिखरा हुआ आटा अपने पैरों पर रख दिया।
अब भेड़िये के पैर भी सफेद हो गए और वह फिर से बकरी के घर पहुंच गया।
तब भेड़िये ने आवाज बदली और दरवाजा खोलने को कहा।
इस बार आवाज भी मां जैसी थी और पैर भी सफेद थे।
यह सब देख सभी दरवाजा खोलने के लिए आगे बढ़े।
तब बकरी के सबसे छोटे बच्चे ने कहा, यह माता नहीं है, परन्तु किसी ने उसकी एक न सुनी और द्वार खोल दिया।
जैसे ही उसने दरवाजा खोला तो देखा कि दरवाजे पर भेड़िया है, मां नहीं।
Bachcho Ki Story In hindi
सभी उससे बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे, लेकिन भेड़िये ने एक-एक करके छह बच्चों को पकड़कर थैले में भर दिया।
आनन-फानन में भेड़िया भूल गया कि बकरी के सात बच्चे हैं।
अब बकरी के बच्चों से भरा थैला लेकर भेड़िया अपनी गुफा की ओर जाने लगा।
कुछ देर बाद बूढ़ी बकरी डम्पी अपने घर पहुँची और वहाँ सब कुछ बिखरा हुआ देखकर डर गई।
तभी उनके घर में छिपा एक बच्चा बाहर आया और सारी बात बताई।
सारी बात सुनकर बकरा क्रोधित हो गया।
और भेड़िये को सबक सिखाने के लिए अपनी गुफा की ओर चला गया।
उधर, बच्चों को ले जा रहा भेड़िया चलते-चलते थक गया और रास्ते में एक पेड़ के नीचे आराम करने बैठ गया।
बैठे-बैठे सो गया। अचानक उसी समय जंगली बकरी डम्पी वहाँ पहुंच गयी।
उसने अपने बच्चो से भरे थैले को बाहर निकल दिया और चुपके से उसमे ईट और पत्थर भर कर रख दिया।
और सभी पास की झाड़ियों में छिप गए।
कुछ देर बाद भेड़िया उठा और बैग लेकर गुफा की ओर चलने लगा।
उसने इस बार बैग को थोड़ा भारी महसूस किया, लेकिन उसने इस पर ध्यान नहीं दिया।
रास्ते में उसे एक नदी मिली, जिसे पार करके उसे अपनी गुफा तक पहुँचना होगा जैसे ही उसने थैला उठाया।
उसे लगा की इस थैले में बकरी के बच्चे है ये सोच चुपचाप नदी की ओर बढ़ा और नदी को पार करने के लिए नदी में घुस गया।
तो थैले में भरे ईट व पत्थरों की वजह से नदी में डूबने लग गया ये देख कर बकरी की बच्चों ने रहत की सांस ली।
Moral of the Story: कहानी से सीख:
Moral Story: किसी को धोखा मत दो।
गलत करने का परिणाम भी गलत होता है।