Bagula Aur Kekda Ki Kahani Hindi Mein | बगुला भगत और केकड़ा की कहानी
Bagula Aur Kekda Ki Kahani: यह कहानी बहुत ही रोचक है आईये पढ़ते है इस बहुत समय पहले की बात है।
बहुत सी चट्टानों के सम्पि एक जलाशय स्थित था उस में बहुत सी मछलियाँ और केकड़े और अन्य जलीय जंतु निवास करते थे।
उस जलाशय में एक बगुला भी आता था ये बगुला बहुत ही आलसी व चालाक था।
वह प्रतिदिन दिन बिना मेहनत किये अपने पेट भरने की युक्ति सोचता रहता था।
और किसी दिन उसकी युक्ति काम कर जाती तो उसको पेट भर खाना मिलता नहीं तो उसे पुरे दिन भूखा ही रहना पड़ता था।
ऐसे ही उसका जीवन व्यतीत हो रहा था तो बगुले ने सोचा के अगर ऐसे ही चलता रहा।
तो उसको बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा तो बगुले ने बिना मेहनत किये।
अपने खाने का इंतजाम करने के लिए एक योजना बनाई किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
मुसीबत के समय भी संयम और बुद्धिमानी से काम करना चाहिए।
एक दिन तड़के ही बगुला उसी जलाशय में एक दम मायूस सा बन कर खड़ा रहा।
और उसने अपना हाल ऐसा बना लिया जैसे काटो तो खून नहीं ।
तभी उसी जलाशय में रहने वाला एक केकड़े ने उसे देखा ।
और वो बगुले से बोलै भाई क्या हुआ आप क्यों खड़े हो ।
आप कारण मुझे बताये में निश्यच ही आपकी सहायता करूंगा ।
केकड़े की बात सुनकर बगुला भाई न जाने मेने अपने इस जीवन में कितने ही पाप किये है ।
अब में अपने किये हुए पापों का मन से प्रायश्चित करना चाहता हूँ |
बगुले की बात सुनकर केकड़े ने पूछा ऐसे कौन से पाप आपने किये है ।
बगुले ने झट से ही उत्तर की ना जाने मैंने आज तक कितनी मछलियों को मार कर खाया है।
अब ये पाप में और नहीं करना चाहता हूँ ।
केकड़े ने बोलै बोला भाई अगर आप मछलियों को नही खाओगे ।
तो भूखे मर जाओगे बगुले ने बोला भाई मृत्यु तो हमारी निश्चित है।
क्योंकि इस जलाश्य में सूखा पड़ने वाला है ऐसे भविष्य वाणी हुई है।
ये सुनकर तो केकड़ा भी मायूस हो गया और बोला भाई आप ही बताओ।
हम सब जलीय जीव अब क्या करें तरुंत ही बगुला बोला भाई में अपने पापों का प्रायश्चित करना चाहता हूँ।
और में आपकी मदद भी कर सकता हूँ।
केकड़े ने पूछा वो कैसे बगुले ने जबाब दिया की यह चट्टान के दूसरी और एक और जलाश्य है ।
में आप सभी को अपनी कमर पर बैठाकर उस जलाश्य में पहुँचा सकता हूँ ।
ये बात सुनकर केकड़े ने झट से जलाश्य में डुबकी लगाई ।
और सभी जीवों को बगुला और अपनी बात -चीत के बारे में बताया ।
ये सुनकर जलाश्य की सभी मछलिया घबरा गयी।
और बोली की आप बगुले को बोलो की वो हमे दूसरे जलाश्य में पहुँचा दे ।
केकड़े ने बगुले को बता दिया अब तो प्रतिदिन बगुला को एक मछली मिलने लगी वह मछली को अपनी पीठ पर बैठा था ।
और रास्तें में मौका मिलते ही उसे खा जाता ऐसे ही बिना मेहनत के बगुले को खाना मिल रहा था।
तो एक दिन केकड़े ने बगुले से कहा भाई आप मुझे कब ले चलोगे ।
बगुले ने मन में सोचा की मेने आज तक केकड़े का माँस नहीं खाया आज मौका मिला है तो खा लेता हूँ |
बगुले ने केकड़े को पीठ पर बैठा लिया और वहाँ से चल दियाबगुला केकड़े को ले जा रहा था ।
तभी केकड़े की नजर रास्तें में पड़ी मछलियों की हड्डियों पर पड़ी हड्डियों को देख कर ही पल भर में केकड़ा बगुला के बारे में समझ गया ।
और उसने उसी क्षण बगुले की गर्दन दबा दी और बगुले को मार कर अपनी जान बचा ली।
अपने पुराने जलाश्य को लौट जाकर उसने बचे हुऐ जीवो को बगुले और अपनी आप बीती सुनायी।
अब तो सभी जलीय जन्तु केकड़े की जय जयकार करने लगे और अपनी जान बचने के लिए उसे धन्यबाद देने लगे ।
Moral of the Story- कहानी से शिक्षा:
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है मुसीबत आने पर घबराना नहीं चाहिए और दिमाग से काम लेना चाहिए।
तो दोस्तों आपको बगुला भगत और केकड़ा | Bagula Aur Kekda Ki Kahani की कहानी कैसी लगी हमें कमेंट करके बताएं।