gonu jha ki kahani

गोनू झा की चतुराई की कहानी

गोनू झा मिथिला नरेश के नौ रत्नों में से एक थे उनकी चतुराई के किस्से उनके पूरे राज्य में प्रसिद्ध थे।

एक बार की बात है की मिथिला के राजा के एक बहुत घनिष्ठ मित्र उनके यहाँ घूमने के लिए आये।

मिथिला में उनकी आवभगत हुई एक दिन उन्होंने सुबह सुबह नाश्ता किया और राजा के खास महल में बैठे थे।

तभी उनकी नजर उस महल की एक दीवार पर लगी तस्वीर पर गयी उस  तस्वीर में बहुत बहुत सुंदर खरबूजों के चित्र बने हुए थे।

तो राजा के दोस्त ने उनसे बोलै की ये बहुत ही सुंदर खरबूजे के चित्र है।

यहाँ खरबूजे तो देखने में तो बहुत ही सुंदर है और मैंने तो न जाने कब से ऐसे खरबूजे देखे ही नहीं है।

उन्होंने मिथिला नरेश से खरबूजे की इच्छा जताई तो राजा ने अपने दरबार में सभी को आदेश दिया।

की उनके मित्र के लिए खरबूजों का प्रबंध करो।

तो दरबार में सभी मंत्रीगण बहुत परेशान हो गए की इस सर्दी के मौसम में खरबूजे कहाँ से लाये।

तो सभी दरबारियों ने कहाँ की महाराज अब तो इस समस्या का समाधान तो गोनू झा ही अपनी चतुराई से कर सकते है।

Moral story for kids

सभी ने गोनू झा से कहा की आप ही कैसे भी करके खरबूजों का प्रबंध कर दो।

तो गोनू झा ने कहा की ठीक है में दो दिन में खरबूजों का इंतज़ाम कर के महल में उपस्थित होता हूँ।

सभी दरबारी और राजा ने दो दिन का गोनू झा का इंतज़ार करते रहे।

उसके बाद गोनू झा वहा उपस्थित हुए।

उन्होंने राजा के दोस्त के सामने चार पाँच खरबूजे लेकर रख दिए।

तो राजा के दोस्त बहुत ही प्रस्सन हुए और बोले की।

हे मित्र तेरे नव रत्नों में से ये गोबू झा निसंदेह बहुत ही बुद्धिमान है।

राजा के मित्र ने गोनू झा से खरबूजों को काटने के लिए कहा तो गोनू झा ने कहा की।

हे राजन आपके मित्र ने खरबूजे देखने की इच्छा जताई थी।

न की खाने की क्युकी ये खरबूजे तो मिटटी के बने है।

और उनकी केवल खरबूजे देखने की इच्छा थी जो की मैंने पूरी कर  दी है।

गोनू झा की चतुराई देख कर राजा ने उन्हें बहुत सा धन देकर गोनू झा को पुरुस्कृत किया।

सभी दरबारी गोनू झा की जय जयकार करने लगे।

और राजा के मित्र ने भी गोनू झा को उनकी इच्छा पूरी करने के लिए धन्यवाद दिया।

खुशी वह से विदा हो कर अपने देश चले गए।

कहानी से सीख

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हम कोई भी काम अपनी सूझ बुझ से कर सकते है।

हमें चतुराई से काम करना चाहिए ।