अकबर बीरबल की कहानी: बिना काटे लकड़ी का टूकड़ा छोटा कैसे होगा

Akbar Birbal story in hindi

बादशाह अकबर और बीरबल का रिश्ता बहुत ही गहरा था।

क्योकि बीरबल हमेशा बादशाह अकबर के सवालों का जवाब बहुत ही आसान तरीके से देते थे।

अकबर भी अपनी सल्तनत के सभी गंभीर मुद्दों पर बीरबल से चर्चा किया करते थे।

बीरबल भी बादशाह अकबर की सभी समस्याओं का समाधान बड़े उचित ढंग से किया करते थे।

बादशाह अकबर कभी कभी बीरबल की बुद्धिमत्ता की परीक्षा भी लिया करते थे।

एक बार बादशाह अकबर और बीरबल जंगल में भृमण करने गए थे।

वहाँ पर भी  बादशाह अकबर ने बीरबल से अनेको सवाल पूछे और बीरबल ने सभी के जवाब दे दिए।

जंगल में घूमते घूमते अकबर और बीरबल दोनों जंगल में आगे चले गए उस जगह बादशाह को एक लकड़ी का ढेर दिखाई दिया।

बादशाह अकबर के मन में बीरबल की परीक्षा लेने की एक युक्ति आयी।

अकबर ने उस लकड़ी के ढेर से एक लकड़ी उठायी और बीरबल से कहा, कि बीरबल क्या तुम इस लकड़ी को बिना काटे छोटी कर सकते है।.,

बादशाह की बात सुनकर बीरबल मन ही मन सब समझ गए की बादशाह उनकी परीक्षा ले रहे है।

बीरबल मुस्कुराये और कहने लगे की बादशाह अवश्य ही में इस लकड़ी को बिना काटे छोटी कर सकता हूँ।

अकबर ने कहा तो करके दिखाओ तो मानू

बीरबल ने उसी ढेर में से एक बड़ी सी लकड़ी निकली और उस लकड़ी के बराबर में रख दिया।

बीरबल ने बादशाह से पूछा बताओ की इसमें कौन सी लकड़ी छोटी है।

बादशाह बीरबल की चतुराई देख कर समझ गए और बोले निसंदेह तुमने लकड़ी को बिना काटे छोटी कर दिया।

बीरबल तुम अपनी परीक्षा में पास हुए और ये कह कर बादशाह हँसने लगे।

कहानी से सीख:Moral of the story

इस कहानी से बच्चों हमें ये शिक्षा मिलती है की कितनी भी कठिन समस्या आने पर भी हमे दिमाग से काम लेना चाहिए।

उस समस्या का हल खोजना चाहिए किसी भी परिस्थिति से बाहर निकलने के लिए हमे दिमाग से अवश्य ही काम लेना चाहिए।