Mulla Narsuddin ki hindi kahani | Garib ka jhola

Mulla Narsuddin ki hindi kahani – Garib ka jhola

महान तुर्की दार्शनिक मुल्ला नसरुद्दीन एक बहुत ही चतुर और मजाकिया आदमी थे

एक बार की बात है मुल्ला जी कहीं जा रहे थे। रास्ते में उसने एक गरीब आदमी को देखा।

वह आदमी इतना ज्यादा गरीब था।के उसके पास कपड़े भी ठीक नहीं थी।

उसके सारे कपड़े फटे हुए थे और उसके पास एक फटा पुराना सा थैला था, जिसमें कुछ भी नहीं था।।

गरीब आदमी देखने में भी ज्यादा उदास लग रहा था और बार- बार अपनी किस्मत को कोस रहा था।

मुल्ला नसरुद्दीन  ने उस आदमी से बात करने की सोची और उसके पास जाकर उससे बात करना शुरू कर दिया ।

मुल्ला नसरुद्दीन – “अरे भाई! क्या हुआ? आप बहुत परेशान लग रहे हैं।”

वह आदमी बोला – “क्या कहूं मुल्ला जी, इस दुनिया में बहुत कुछ है, फिर भी मेरा झोला खाली है।

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी: गरीब का झोला

“मुझसे बड़ा बदनसीब कोई दूसरा नहीं है इस दुनिया में ।”

मुल्ला नसरुद्दीनउस गरीब व्यक्ति सेरास्ते में खड़े होकर बातें करने लगे और कहने लगे देखो तुम्हारा झोला खाली है,

ये तो बड़ी दुःखद बात है और इतना कहकर उस आदमी के हाथ से थैला छीना और उसे दूर लेकर भाग गयी।

वह आदमी मुल्ला नसरुद्दीन के  के पीछे दौड़ा और तेज तेज चिल्लाने लगा।

‘अरे मुल्ला  जी वो मेरा थैला लेकर कहा जा रहे हो।’

“मुझे मेरा थैला वापस कर दो, इसमें तो कुछ भी नहीं है तुम्हारे लिएमुझे मेरा थैला वापस कर दो”।

मुल्ला नसरुद्दीन ने उस आदमी को कुछ दूर भगाने के बाद थैलाको बीच सड़क पर रख दिया और छिप गया।

उस आदमी ने सड़क पर  देखा तो वह बहुत खुश हुआ। उसने थैला उठाया और खुशी से झूमने लगा।

मुल्ला नसरुद्दीन ग़रीबों की झोली को छिपा हुआ देख रहा था, वह भी मुस्कुराया और सोचने लगे की ये थोड़ा कुटिल,था।

लेकिन आदमी को खुश करने का एक अच्छा तरीका।

Moral of the story कहानी की शिक्षा :

हमारे पास जो है उसी में संतोष करना चाहिए, क्योंकि कुछ लोगों के पास इतना नहीं होता।