Tenalirama ki kahani in hindi :ManPasand mithai
तेनालीराम हमेशा प्रतिक्रिया देने के अपने अनोखे तरीकों के लिए जाने जाते थे।
उनसे जो भी सवाल पूछा जाता था, वह हमेशा अलग अंदाज में जवाब देते थे।
भले ही सवाल उनकी पसंदीदा मिठाई का ही क्यों न हो।
आइए, जानते हैं तेनालीराम ने अपनी पसंदीदा मिठाई के पीछे महाराज कृष्णदेवराय की कसरत कैसे कराई।
एक सर्दियों की दोपहर, महाराजा कृष्णदेवराय, राजपुरोहित और तेनालीराम महल के बगीचे में टहल रहे थे।
महाराज ने कहा, “इस बार बहुत ठंड पड़ रही है। इतनी ठंड सालों से नहीं पड़ी है।
यह मौसम अमीर खाने और स्वस्थ रहने का है। क्यों राजपुरोहित जी, आप क्या कहते हैं?
“आप बिल्कुल सही कह रहे हैं सर। इस मौसम में ढेर सारे मेवे, फल और मिठाई खाने का मजा ही अलग है|”,
राजपुरोहित ने जवाब दिया मिठाइयों का नाम सुनकर महाराज ने कहा, “आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।
वैसे, सर्दियों में कौन सी मिठाई खाई जाती है?
राजपुरोहित ने कहा, “सर, काजू कतली, बर्फी, हलवा, गुलाब जामुन आदि सूखे मेवों से बनी कई मिठाइयां हैं।
और भी कई मिठाइयां हैं जो हम सर्दियों में खा सकते हैं।
यह सुनकर महाराज हंसने लगे और तेनालीराम की ओर मुड़े और कहा, “तुम तेनाली को बताओ। ठंड में तुम्हें कौन सी मिठाई पसंद है?”
इस पर तेनाली ने उत्तर दिया, “महाराज, राजपुरोहित जी, आप दोनों रात को मेरे साथ आ जाओ।
तेनालीराम की कहानी: मनपसंद मिठाई
मैं तुम्हें अपनी पसंदीदा मिठाई खिलाऊंगा।” “एक साथ क्यों? हमें बताएं कि आपको कौन सी मिठाई पसंद है।
हम इसे महल में ही बनवाएंगे, ”महाराज ने कहा।
“नहीं साहब, यहां कोई मिठाई बनाने नहीं आएगा। तुम्हें मेरे साथ बाहर चलना होगा, ”तेनाली ने कहा।
महाराज ने हंसते हुए कहा, “चलो ठीक है। आज रात हम आपकी पसंदीदा जगह से मिठाई लेंगे।”
खाना खाने के बाद महाराज और राजपुरोहित ने सादे कपड़े पहने और तेनाली के साथ चल दिए।
गाँव को पार करने के बाद, खेतों में बहुत दूर पैदल चलकर महाराज ने कहा, “तेनाली हमें और कितना चलना होगा?
आपने आज हमें थका दिया है।” “थोड़ा और आगे,” तेनाली ने उत्तर दिया।
जब वे सभी मीठे स्थान पर पहुंचे, तो तेनाली ने महाराज और राजपुरोहित को एक खाट पर बिठाया और स्वयं मिठाई लेने चले गए।
कुछ ही देर में वह अपने साथ तीन कटोरी गर्म मिठाइयाँ ले आया। महाराज ने जैसे ही मिठाई का स्वाद चखा,
उनके मुंह से वाह के सिवा कुछ नहीं निकला। महाराज और राजपुरोहित ने एक ही बार में सारी मिठाई खा ली।
फिर उन्होंने तेनाली से कहा, “वाह पंडित रामकृष्ण! मज़ा आ गया! यह मिठाई क्या थी? हमने इसे पहले कभी नहीं खाया।”
महाराज की बातों पर तेनालीराम मुस्कुराए और बोले, “महाराज यह गुड़ था।
पास में एक गन्ने का खेत है और किसान रात में उससे गुड़ बनाते हैं।
मुझे यहाँ आकर गुड़ खाना बहुत पसंद है। मेरा मानना है कि गर्म गुड़ भी सबसे अच्छी मिठाई से कम नहीं है। ।”
“बिल्कुल, पंडित राम, बिल्कुल। इस बिंदु पर, हमारे लिए एक और कटोरी मिठाई लाओ।
इसके बाद तीनों ने एक कटोरी गुड़ खाया और फिर महल में लौट आए।
Moral of the storyकहानी से सीखो
यह कहानी हमें सिखाती है कि खुशी छोटी-छोटी चीजों में भी मिल सकती है,
जो बहुत पैसा खर्च करने के बाद भी नहीं मिलती है।