Story in Hindi for Kids | Magarmach Aur Bandar Ki Story in Hindi

Magarmach Aur Bandar Ki Story in Hindi for Class 4 Kids – बुद्धिमान बंदर और मगरमच्छ की कहानी

A Story in Hindi Class 4 for Kids – बच्चों के लिए हिंदी कक्षा 4 में एक कहानी 

एक था घना जंगल, जहां जानवर आपस में बड़े प्यार से रहते थे।

उस जंगल के बीच में एक बहुत ही सुंदर और बड़ा तालाब था।

उस तालाब में एक मगरमच्छ रहता था। तालाब के चारों ओर कई फलों के पेड़ थे।

बंदर पेड़ से मीठे और स्वादिष्ट फल खाता था और अपने दोस्त मगर को भी देता था।

बंदर अपने दोस्त मगर का खास ख्याल रखता था और भले ही वह उसे अपनी पीठ पर बिठाकर पूरे तालाब में घुमाता था।

दिन बीतते गए और उनकी दोस्ती गहरी होती गई।

जो फल बंदर मगरमच्छ को देते थे, उनमें से कुछ फल तो मगरमच्छ अपनी पत्नी को भी खिलाते थे।

दोनों फल बड़े चाव से खाते थे।

बहुत दिनों के बाद एक बार मगरमच्छ की पत्नी ने कहा कि बंदर हमेशा स्वादिष्ट फल खाता है।

जरा सोचिए उसका दिल कितना स्वादिष्ट होगा। उसने मगरमच्छ पर जोर देकर कहा कि उसे बंदर का कलेजा खाना है।

मगर ने उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मानी और वह मगर पर गुस्सा हो गई।

अब मगर को ना चाहते हुए भी हां कहनी पड़ी। उसने कहा कि वह अगले दिन बंदर को अपनी गुफा में लाएगा।

फिर उसका कलेजा निकाल कर खाएगा। इसके बाद मगर की पत्नी मान गई।

हर दिन की तरह बंदर स्वादिष्ट फलों के साथ मगरमच्छ का इंतजार करने लगा।

Story for kids in Hindi

 

कुछ देर बाद मगरमच्छ भी आ गया और दोनों ने एक साथ फल खा लिया।

मगरमच्छ ने कहा कि दोस्त आज तुम्हारी भाभी तुमसे मिलना चाहती है।

चलो आज वहाँ चलते हैं, तालाब के दूसरी तरफ मेरा घर है।

बंदर आसानी से मान गया और कूद गया और मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया।

लेकिन उसे ले लिया और अपनी गुफा की ओर बढ़ने लगा।

जैसे ही दोनों तालाब के बीच में पहुँचे, मगर ने कहा कि दोस्त आज तुम्हारी भाभी की इच्छा है कि वह तुम्हारा कलेजा खा ले।

यह कहकर उसने सारी बात बता दी।

यह सुनकर बंदर कुछ सोचने लगा और बोला मित्र, तुमने मुझे यह पहले क्यों नहीं बताया।

मगर ने पूछा क्यों दोस्त क्या हुआ था। बंदर ने कहा कि मैंने अपना दिल पेड़ पर ही छोड़ दिया है।

अगर तुम मुझे वापस ले जाओ, तो मैं अपना दिल तुम्हारे साथ लाऊंगा।

लेकिन बंदर बात में आ गया और वापस किनारे पर आ गया।

दोनों जैसे ही किनारे पर पहुंचे, बंदर तेजी से पेड़ पर चढ़ गया और कहा कि मूर्ख, तुम नहीं जानते कि दिल हमारे अंदर है।

मैंने हमेशा तुम्हारे बारे में अच्छा सोचा और तुम ही मुझे खाने गए। यह कैसी दोस्ती है तुम्हारी? यहा से चले जाओ।

लेकिन उसे अपनी हरकत पर बहुत शर्म आई और उसने बंदर से माफी मांगी,

लेकिन अब बंदर उसकी बातों में नहीं आने वाला था।

Moral of the story : कहानी से सीखो:

यह कहानी हमें सिखाती है कि संकट के समय हमें घबराना नहीं चाहिए। संकट के समय अपनी बुद्धि का प्रयोग कर उसे दूर करने का उपाय सोचना चाहिए।

 

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