Shekhchilli Story in Hindi | Tendue Ka Shikar In Hindi

Shekhchilli ki kahani in hindi:Tendue Ka Shikar In Hindi

शेख चिल्ली भले ही बेवकूफी भरी बातें और हरकत करते थे

, लेकिन शेख चिल्ली की कुछ क्षमता देखकर झज्जर नवाब शेख फारूक ने उन्हें अपनी जगह नौकरी दे दी।

दिन बीतते गए और शेख ईमानदारी से अपना काम करता रहा। एक दिन नवाब शिकार के लिए जंगल में जा रहा था।

उन्हें शिकार के लिए जाते देख शेख ने कहा, “महाराज, मैं भी आपके साथ आना चाहता हूं।”

नवाब ने हँसते हुए उसे समझाया कि तुम वहाँ नहीं जा सकते। आपने अपने जीवन में कभी चूहे का शिकार नहीं किया है,

तो जंगल में घूमने के बाद आप क्या करेंगे?

अपने नबाब की बात सुनकर शेखचिल्ली ने बड़ी दुःख भरी आवाज में कहा की नबाब साहब मुझे एक ऐसा अवसर दे

जिसमे में अपनी काबिलियत आपके सामने दिखा सकू ।”

उसकी जिद देखकर नवाब ने शेख चिल्ली को बंदूक भी थमा दी।

अब सब मिलकर कालेसर वन की ओर बढ़ने लगे। कुछ दूर पहुंचने के बाद सभी अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर शिकार का इंतजार करने लगे।

नवाब साहब ने शेख चिल्ली को अपने साथ खड़े होने को कहा।

तेंदुए को फंसाने के लिए बकरे को पेड़ से बांधा गया था। फिर भी तेंदुआ तीन घंटे तक वहां नहीं आया।

शेखचिल्ली की कहानी : तेंदुए का शिकार

इसमें चिल्लाते हुए शेख चिल्ली ने पूछा कि उक्त तेंदुआ अब तक क्यों नहीं आया।

नवाब के पास खड़े एक शिकारी ने कहा कि तुम चुप रहो।नहीं तो सारा काम खराब कर दोगे ।

उसी समय शेखचिल्ली के मन में  ख्याली पुलाव बनाने लगा। उसके मन में सोचा की

कि इतने लोग यहां एक-दो तेंदुओं का शिकार करने आए हैं।

वे भी सो गए, लेकिन उनमे से एक भी एक भी तेंदुए को खोजने नहीं गया।

हर कोई पेड़ के पीछे छुपकर उसका इंतजार कर रहा है।

तभी शेख के मन में यह विचार आया कि यदि मेरी बस चले तो मैं बन्दूक लेकर सीधे तेंदुआ ढूंढ़ने चला जाऊं।

उसे पाकर मैं चुपचाप उसका पीछा करूंगा और जैसे ही वह मुझे देखेगा, मैं उसका शिकार कर लूंगा।

इतना सोचते हुए शेख ने अपने आप से कहा कि वैसे  सुना तो है कि तेंदुआ बहुत तेज दौड़ता है और बड़ी छलांग भी लगाता है।

क्या हुआ अगर वह मुझ पर चढ़ गया?तो

शेखचिल्ली ने इस विचार को अपने मन से निकाल दिया।

उसने कहा कि अगर वह तेज दौड़ता है तो क्या होगा। क्या मैं उससे कम हूँ?

Shekhchilli ki kahani in hindi

जैसे ही वह मेरी ओर दौड़ता है। मैं अपनी बंदूक से फायर करूंगा।

लेकिन क्या होगा अगर ऐसे पेड़ के पीछे छिपकर बकरी की जान को खतरा हो? यहां हर कोई कायर है।

तभी तेज गोली चलने की आवाज आई। आवाज सुनकर शेख चिल्ली चिल्लाया तेंदुआ मर गया।

सभी लोग पेड़ के पीछे से निकल आए। उसने देखा कि बकरी की तरह वह एक पेड़ से बंधा हुआ है।

और उसकी घास खा रहा है। कुछ दूर जाकर देखा तो तेंदुआ मरा हुआ मिला।

सभी को लगा कि शेख चिल्ली ने तेंदुए का शिकार किया है।

सभी ने शेख चिल्ली को बधाई दी। सबसे ज्यादा तालियां पाकर शेख चिल्ली खुश हो गए,

लेकिन उन्हें खुद समझ नहीं आया कि तेंदुआ कैसे मरा।

Moral of the story कहानी से सीखें:

कई बार ऐसे लोग अपनी काबिलियत भी दिखाते हैं, जिनसे कुछ भी उम्मीद नहीं की जाती है।

इसलिए किसी को भी कम करके नहीं आंका जाना चाहिए।