Story of Sheikh Chilli Ki – शेखचिल्ली की कहानी : चिट्ठी का किस्सा
Sheikh Chilli Ki Story in Hindi – Chitthi Ka Kissa Kahani in Hindi
शेखचिल्ली का ये किस्सा उनके भाई से जुड़ा है. शेख अपने भाई से बहुत प्यार करता था।
दोनों चंद घंटे की दूरी पर अलग-अलग गांवों में रहते थे।
एक दूसरे का हाल जानने के लिए दोनों चिट्ठियों का सहारा लेते थे.
एक दिन शेखचिल्ली को पता चला कि उसका भाई बीमार हो गया है।
उसके मन में ऐसा हुआ कि अब मैं अपने भाई को पत्र लिखकर उसकी दशा जानता हूँ।
उसने ऐसा ही किया और एक घंटे तक बैठ कर एक बड़ा पत्र लिखा।
उस समय डाक वितरण की कोई सुविधा नहीं थी,
इसलिए लोग एक गांव से दूसरे गांव जाने वाले व्यक्ति के हाथ में एक पत्र और कुछ पैसे भेज देते थे और उसे पहुंचाने के लिए कहते थे।
जिस गांव में शेखचिल्ली का भाई था, वहां एक नाई आया करता था।
वह तुरंत उस नाई के पास गया और कहने लगा कि तुम यह पत्र मेरे भाई को दे देना।
नाई ने खांसते हुए कहा कि देखो भाई! मेरी तबीयत ठीक नहीं है,
इसलिए मैं कुछ दिनों के लिए उस गांव में नहीं जा रहा हूं।
आप यह पत्र किसी और के हाथ भेज दो।
शेख चिल्ली ने अपने गांव से अपने भाई के गांव जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति से पूछा, लेकिन सभी ने पत्र देने से इनकार कर दिया।
कुछ बीमार थे, कुछ को जरूरी काम था और कुछ दूसरे गांव नहीं जाना चाहते थे।
शेखचिल्ली की कहानी
बहुत कोशिशों के बाद शेख चिल्ली खुद गुस्से में अपने भाई के गांव के लिए निकल गया
क्योंकि पत्र देने की कोई व्यवस्था नहीं थी। दिन भर चलने के बाद वह अपने भाई के घर पहुंचा।
उसने वहां पहुंचकर अपने भाई के घर का दरवाजा खटखटाया।
भाई जैसे ही बाहर आया तो उसने हाथ में लिखा पत्र थमा दिया और लौटने लगा।
शेख चिल्ली को रोकते हुए उसके भाई ने कहा, “अरे, कहाँ जा रहे हो।
तुम यहाँ इतनी दूर से आए हो, थोड़ी देर बैठो और मुझसे बात करो।
” शेखचिल्ली ने उसकी एक नहीं सुनी। तब उसके भाई ने पूछा, “क्या तुम मुझसे नाराज़ हो?”
इसका जवाब देते हुए शेख चिल्ली ने कहा कि मैं आपको पत्र भेजने के लिए कई लोगों के घर गया था,
लेकिन कोई भी आपके पास पत्र लाने को तैयार नहीं था।
अंत में परेशान होकर नाई की जगह मैं खुद आपको पत्र देने आया हूं।
अब मैं नाई की जगह तुम्हारे घर आया हूं, इसलिए मैं तुम्हारे साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा।
अगर मुझे तुमसे मिलने आना होता तो मैं खुद हीं आता।
मैं नाई की जगह चिट्ठी देने तुम्हारे पास क्यों आता ? शेखचिल्ली की बात उसके भाई को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी।
उसके मन में ऐसा हुआ कि वह खुद आया है, लेकिन कहता है कि मैं नाई बनकर के यहां आया हूं,
इसलिए मैं तुमसे नहीं मिलूंगा। इसमें शेख चिल्ली ने कहा कि आप इस पत्र को अच्छी तरह पढ़ लें और इसका उत्तर अपने भाई को भेज दें।
अब मैं यहाँ नाई की जगह आया हूँ, इसलिए मैं वापस चला जाता हूँ।
यह कहकर शेखचिल्ली अपने घर के लिए निकल गया।
Moral of the story – कहानी से सबक:
Moral Story: हमें हमेशा अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए।
दूसरे की बातको भी सुनकर समझने की कोशिश करनी चाहिए