Panchtanra ki kahani -गजराज और मूषकराज की कथा
एक बार की बात है, एक शहर एक नदी के किनारे बसा था।
एक बार वहाँ बहुत बारिश हुई, जिससे नदी ने अपना रुख बदल लिया।
इससे शहर में पानी की किल्लत हो गई, लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा था.
धीरे-धीरे लोग उस शहर को छोड़ने लगे और एक समय ऐसा आया जब पूरा शहर सूना हो गया और वहां चूहे ही रह गए।
वहाँ चूहों ने अपना राज्य बसाया। एक बार वहाँ की भूमि से पानी का स्रोत फूट पड़ा और वहाँ एक बड़ा तालाब बन गया।
दूसरी ओर उस नगर से कुछ दूरी पर एक जंगल था, जहाँ बहुत से जंगली जानवर रहते थे।
उन जानवरों के साथ-साथ वहां कई हाथी भी रहते थे जिनके राजा गजराज नाम का हाथी था।
एक बार की बात है, भयानक सूखा पड़ा था। सारे जानवर पानी के लिए रोने लगे।
यहां तक कि बड़े-बड़े हाथियों की भी हालत खराब थी। बिना पानी के हाथियों के बच्चे परेशान हो रहे थे।
इसी बीच गजराज का दोस्त चील वहां आया और उसने बताया कि बर्बाद शहर में पानी का तालाब है।
यह सुनते ही हाथी अपने बच्चों और अन्य साथियों के साथ शहर की ओर चल दिया।
कई हाथी उसकी ओर चले, रास्ते में चूहों का शहर था, उन बड़े बड़े हाथियों के पैरों के नीचे बहुत से चूहे दब कर मर गए
और जब वो हाथी वापस आये तब भी बहुत सारे चूहे मर गए
यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा और इसकी खबर चूहों के राजा चूहे तक भी पहुंच गई।
Panchtantra ki kahani
इस बात को लेकर वह काफी चिंतित थे। उसके मंत्रियों ने चूहे से कहा, “महाराज, आपको जाकर गजराज से इस बारे में बात करनी चाहिए।
” उसकी बातें सुनकर चूहा उससे बात करने गजराज के जंगल में चला गया। हाथियों का राजा गजराज एक पेड़ के समीप खड़ा था।
तो चूहों का राजा मूषक भी एक बड़ी सी चट्टान पर बैठ कर गजराज को प्रणाम करने लगा।
में चूहों का राजा हूँ हाथी चूहे के राजा को ठीक से नहीं सुन सका।
वह थोड़ा नीचे झुके और चूहे की ओर कान लगाकर कहा, “अरे नन्हे प्राणी, तुम कुछ कह रहे थे, क्या फिर से कहोगे?
“हे गजराज में उसी जगह रहता हूँ जिसको आपके साथियो ने बर्बाद कर दिया है ।
जब भी आप और आपके अन्य हाथी दोस्त तालाब की ओर जाते हैं, तो कई चूहे आपके पैरों के नीचे दब जाते हैं और मर जाते हैं।
कृपया ऐसा मत करो नहीं तो बहुत जल्द हम में से कोई भी नहीं बचेगा।”
यह सुनकर गजराज ने उदास होकर कहा, “मुझे नहीं पता था कि हम इतना बुरा कर रहे हैं।
हम तालाब तक पहुंचने का कोई और रास्ता खोज लेंगे।”
यह सुनकर चूहा बहुत खुश हुआ और बोला, “गजराज, तुमने मेरे जैसे छोटे से जीव की बात सुनी, मैं आपका आभारी हूं।
” अगर आपको भविष्य में कभी किसी मदद की जरूरत हो तो मुझे बताएं।”
गजराज ने मन ही मन सोचा कि यह छोटा सा जीव मेरे काम का क्या होगा।
तो, उसने एक मुस्कान के साथ चूहे को दूर भेज दिया।
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कुछ दिनों से सब कुछ ठीक चल रहा था कि एक बार पड़ोसी देश के राजा ने अपनी सेना को मजबूत करने के लिए एक हाथी रखने का फैसला किया।
राजा के मंत्री और उसकी सेना ने जंगल में कई हाथियों को पकड़ लिया।
हाथियों के पकड़े जाने से गजराज चिंतित था।
एक रात गजराज इसी चिंता में जंगल में घूम रहा था
कि अचानक उसका पैर सूखे पत्तों में छिपे जाल पर गिर गया और वह जाल में फंस गया।
हाथी जोर-जोर से गरजने लगा, लेकिन उसकी मदद के लिए कोई नहीं आया।
इसी बीच एक भेंसेने हाथी की आवाज सुनी, वह गजराज का बहुत सम्मान करता था।
क्योंकि एक बार गजराज ने भैंसे को गड्ढे से निकालकर उसकी जान बचाई थी।
गजराज को जाल में फंसा देख वह बहुत चिंतित हुआ और कहने लगा।
, “गजराज, मैं तुम्हारी क्या सहायता करूँ?
मैं अपनी जान देकर भी तुम्हारी मदद करूंगा, गजराज।
। गजराज ने कहा, “तुम जल्दी जाओ और मेरी खबर उस चूहे को दे दो, जो उस बर्बाद शहर में रहता है।
” भेंसे ने गजराज का सन्देश मूषकराज को दे दिया ।
यह सुनते ही मूषकराज अपने कई सैनिकों को लेकर भैंसे की पीठ पर बैठ गया और गजराज पहुंच गया।
तब चूहों ने मिलकर जाल को काटा और गजराज मुक्त हो गया।
इसके बाद गजराज ने चूहे को धन्यवाद दिया। सब सुख से रहने लगे। गजराज और मुशकराज की दोस्ती भी गहरी हुई।
Moral of the story :कहानी से सीखो
कोई भी प्राणी छोटा नहीं होता, बस जरूरत होती है प्यार और विश्वास की। आपसी प्रेम हर तरह के दुखों को दूर कर सकता है।