Mulla Nasruddin Story in Hindi| Khushboo Ki Kimat

Mulla Narsuddin Best Story in Hindi

बरसों पहले नंदा नगरी में एक भिखारी भूख से तड़प रहा था और कुछ खाने को मांग रहा था।

उसी समय उसके दुःख को देख कर  एक व्यक्ति उसे कुछ रोटियां देता है।

अब भिखारी रोटी के लिए सब्जी की तलाश में पास के एक पंडाल में पहुंच जाता है.

वहां भिखारी पंडाल के मालिक से रोटी के लिए कुछ सब्जियां मांगता है।

भिखारी को देख पंडाल का मालिक गुस्से में उसे भगा देता है।

 

उदास भिखारी किसी तरह मालिक की नजर से बचकर पंडाल की रसोई में पहुंच जाता है।

वहां उसे तरह-तरह की स्वादिष्ट सब्जियां दिखाई देती हैं। गरम सब्जियों में से भाप निकल रही थी।

भाप को देखकर भिखारी के मन में यह विचार आया कि यदि इस भाप में रोटियां रखी जाएंगी तो उनमें सब्जी की सुगंध मिल जाएगी।

फिर रोटी में भी सब्जी में डाले हुए मसालों का स्वाद रोटियों में आ जाएगा।

इस वजह से रोटियों को।बिना सब्जी खाया जा सकता है।

ये सब सोचकर भिखारी सब्जी को रोटी पर डालने की बजाय सब्जी से निकलने वाली भाप के ऊपर रख देता है.

तभी अचानक पंडाल का मालिक वहां आता है और सब्जी चोरी करने वाले भिखारी को पकड़ लेता है.

भिखारी उससे कहता है कि मैंने सब्जी नहीं चुराई है। मुझे तो बस सब्जी की महक आ रही थी।

मालिक भिखारी को धमकाता है और कहता है कि अगर तुमने केवल सुगंध ली है, तो उस सुगंध की भी कीमत चुकानी पड़ेगी।

भिखारी भयभीत स्वर में उससे कहता है, “स्वामी, मेरे पास सुगंध की कीमत चुकाने के लिए कुछ भी नहीं है।

” तभी पंडाल मालिक उसे पकड़ लेता है और मुल्ला नसरुद्दीन के दरबार में ले जाता है।

मुल्ला नसरुद्दीन पंडाल मालिक और भिखारी की बातें ध्यान से सुनते है ।

खुशबू की कीमत – मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी

दोनों की बात सुनने के बाद मुल्ला कुछ देर सोचते है और पंडाल मालिक से कहता है कि तुम्हें अपनी सब्जियों की खुशबू के बदले पैसे चाहिए।

पंडाल मलिका हां है मुझे मेरी स्वादिष्ट सब्जियों की महक भी पैसे चाहिए ।

तब मुल्ला पंडाल मालिक से कहता है, “ठीक है, तुम्हारी सब्जी की खुशबू की कीमत मैं खुद चुकाऊंगा।

” यह सुनकर पंडाल मालिक खुश हो जाता है। तब मुल्ला नसरुद्दीन उससे कहता है,

“देखो, मैं तुम्हारी सब्जी की सुगंध की कीमत सिक्कों की झड़ी से चुका दूंगा।”

इतना कहकर मुल्ला अपनी जेब से कुछ सिक्के निकाल कर दोनों हाथों में ले लेता है और थपथपाने लगता है।

फिर उन सिक्कों को फिर से जेब में रख लें।

यह सब देखकर पंडाल मालिक हैरान है। वह मुल्ला नसरुद्दीन को बताता है कि उसने क्या कीमत चुकाई है।

जवाब में मुल्ला कहता है, ”इस भिखारी ने तुम्हारी सब्जी की महक ले ली थी।

इसलिए मैंने आपको सिक्कों की आवाज ही के बारे में बताया है।

अगर यह भिखारी सब्जी ले लेता तो आपको कुछ सिक्के मिल जाते।

मुल्ला का जवाब सुनकर पंडाल मालिक आंखें चुराकर वहां से चला जाता है।

भिखारी भी खुशी-खुशी अपने रास्ते चला जाता है।

Moral of the story कहानी से मिली सीख:

मुल्ला नसरुद्दीन की कहानी  से  सीख मिलती है कि ज्ञान और चतुराई से हर समस्या का समाधान किया जा सकता है,

जैसा कि मुल्ला नसरुद्दीन ने इस कहानी में पंडाल मालिक के साथ किया था।