एक दिन शेखचिल्ली की माँ एक शादी में शामिल होने के लिए घर से बाहर जाने लगी।
जाने से पहले उन्होंने अपने बेटे को आवाज दी और कहा, “बेटा शेख, तुम जंगल में जाओ और घास ले आओ।
फिर पड़ोसी को घास देकर पैसे ले लो।
तुम यहीं यह काम करो और मैं शादी में जाऊंगी और लिए मिठाई और फल लेकर आऊंगी
शेख चिल्ली ने अपनी माँ के द्वारा कही हुई बात मान ली ।
घास लाने का ख्याल अब शेख के मन में नहीं था, लेकिन मिठाइयाँ इधर-उधर घूमने लगीं।
वह दिन भर मिठाई के सपने देखता रहा। कुछ घंटों के बाद जैसे ही शेख की मां घर लौटी,
उसने देखा कि उसका बेटा बिस्तर पर पड़ा है। उन्होंने उसे आवाज दी,
लेकिन शेखचिल्ली अपने सपनों की दुनिया में खो गया।
उसकी माँ ने उसका बिस्तर खींच लिया और कहा कि तुम सपनों की दुनिया में खो गए हो
और मेरी घास का काम ऐसे ही छोड़ दिया।
अब जब तक तुम जंगल में जाकर उस काम को नहीं करोगे, तब तक तुम्हें मिठाई नहीं मिलेगी।
यह सुनकर कि मिठाई उपलब्ध नहीं है, शेख तुरंत उठा और जंगल में चला गया।
वह जंगल में गया और सब कुछ ठीक वैसा ही किया जैसा उसकी माँ ने उसे बताया था।
फिर घर आकर उसने घास बेचने से मिले पैसे को अपनी मां के हाथ में कर दिया।
माँ ने भी प्रसन्न होकर उसे मिठाई खिलाई।
जैसे ही उसने मिठाई खाई, शेख को याद आया कि वह खुरपी छोड़ गया है जिसे वह घास लाने के लिए जंगल में ले गया था।
जैसे ही उसने मिठाइयाँ समाप्त कीं, वह खुरपी लेने के लिए जंगल की ओर भागा।
जैसे ही वह जंगल में पहुंचा, उसने अपने सामने एक खुरपी देखा। शेखचिल्ली खुश होकर खुरपी लेने के लिए आगे बढ़ा ।
शेख ने जैसे ही खुरपी को छुआ, वह जोर-जोर से रोने लगा,
क्योंकि खुरपी पर सीधी धूप पड़ रही थी, जिससे बहुत गर्मी पड़ रही थी।
शेख चिल्ली के मन में यह बात आ गई कि खुरपी इतनी गर्म है कि इसका अर्थ है कि उसे बुखार हो गया है।
शेख ने किसी तरह खुरपी उठाई और उठाकर सीधे एक हाकिम के पास गया।
वहाँ जाते ही शेखचिल्ली ने कहा, ”देखो! इस खुरपी को तेज बुखार हो गया है। इसका इलाज करो।”
शेख की यह बात सुनकर हकीम हंस पड़ा। उन्होंने मजाक में कहा कि हां, उन्हें तेज बुखार है,
लेकिन दवा से इसका इलाज नहीं होगा। आप इसे रस्सी में बांधकर पास के किसी कुएं में ले जाएं और दो-तीन बार पानी में डुबोकर निकाल लें।
ऐसा करने से उसका बुखार उतर जाएगा।
शेखचिल्ली ने ठीक वैसा ही किया। शेख ने पानी से खुरपी निकालकर उसे छुआ, वह ठंडी पड़ गयी थी ।
उसे लगा कि हकीम के इलाज ने काम कर दिया है और वह खुशी-खुशी खुरपी लेकर अपने घर चला गया।
कुछ दिनों बाद उसके पड़ोस की एक बुढ़िया को तेज बुखार हो गया।
घरवाले परेशान होकर उसे हकीम के पास ले जा रहे थे। फिर रास्ते में उसकी मुलाकात शेखचिल्ली से हुई।
उसने सभी से पूछा कि तुम लोग इतने परेशान क्यों हो?
उसने शेख को बताया कि वह बुखार के इलाज के लिए हकीम जा रहा था।
बुखार शब्द सुनते ही शेख को म्यान की कहानी याद आ गई।
उन्होंने सभी को बताया कि मुझे बुखार के इलाज का नुस्खा पता है।
किसी को हकीम के पास जाने की जरूरत नहीं है।
उसने बुढ़िया के परिवार वालों से कहा कि उन्हें रस्सी से बांधकर एक-दो बार कुएं में डुबो कर निकाल लें।
बुखार अपने आप दूर हो जाएगा। सभी ने हैरानी से शेख से पूछा कि क्या हकीम साहब ने सच में यह नुस्खा बताया है?
शेख चिल्ली ने पूरा भरोसा दिलाते हुए कहा की हां मुझे पता है और में बुखार भी पलभर में ठीक कर सकता हूँ
सभी ने शेखचिल्ली की बात मानकर बुढ़िया को दो-चार बार रस्सी के सहारे कुएं में डुबो दिया।
कुछ देर बाद जब उसे बाहर निकाला गया तो उसका पूरा शरीर ठंडा पड़ गया था
शेखचिल्ली ने कहा ने छू कर देखा और बहुत तेज चिल्ला कर कहा देखो मैंने क्या बोला था की कि बुखार पूरी तरह से चला जाएगा।”
बुढ़िया के घरवाले गुस्से में शेख पर चिल्लाने लगे। उन्होंने कहा कि आप नहीं जानते कि वे दुनिया से चली गयी है
इसलिए उनका पूरा शरीर ठंडा हो गया है।
शेख ने भी गुस्से में जवाब दिया कि मैंने कहा था कि इससे बुखार उतर जाएगा और यह कम हो गया है।
अब अगर उनकी जान चली गई है, तो यह मेरी नहीं बल्कि हकीम की गलती है। आखिर यह नुस्खा हकीम का ही है।
अब सब लोग क्रोध में आकर हाकिम के पास गए और उसे सारी कहानी सुनाई।
यह सुनकर हकीम उदास हो गया और सिर पर हाथ रख दिया।
फिर उसने धीमी आवाज में कहा, “अरे! भाई, मैंने उस इलाज को गर्म खुरपी को ठंडा करने के लिए कहा था।
किसी व्यक्ति के बुखार को कम करने के लिए नहीं।”
हकीम की यह बात सुनकर सभी ने मिलकर शेख चिल्ली को खूब डांटा और उसकी पिटाई करने लगे।
किसी तरह शेख वहां से भाग निकला।
Moral of the stroy कहानी से सबक:
बिना सोचे समझे किसी की बात नहीं माननी चाहिए। यह खुद को नुकसान पहुंचाता है