Gonu jha ki kahani in hindi:
Gonu jha aur Bhonu jha ki kahani
गोनू झा और भोनू झा के बंटवारे की कहानी इन हिंदी
गोनू झा के किस्से और कहानियां बहुत ही रोचक है और सब बच्चे इनकी कहानी जरूरसुनना चाहते है।
आइये आपको हम अपनी वेबसाइट के माध्यम से गोनू झा के बहुत प्रसिद्ध कहानी व किस्से सुनाते है।
गोनू झा मिथिला नरेश के नवरत्नों में थे।
एक बार गोनूझा और उनके भाई भोनू झा के मध्य एक भैंस का बटवारा हुआ।
उन्होंने भैंस को इस कदर बाँटा की भैंस को इस कदर बाँटा की भैंस के आगे का हिस्सा भोनू झा का था।
और पीछे का हिस्सा गोनू झा के पास में आया था।
उनके पास एक कम्बल था जिसका बटवारा ऐसे हुआ की रात को कम्बल गोनू झा के हिस्से में आया ।
और दिन में कम्बल भोनू झा के हिस्से में आया।
अगले दिन से ये बंटवारे का नियम लागू हुआ तो भोनू झा के हिस्से में तो भैंस का आगे का हिस्सा आया था।
तो उन्होंने सुबह उठकर भैंस को चारा खिलाया और पानी भी पिला दिया।
उसके बाद बारी आयी गोनू झा की तो उन्होंने सुबह उठकर अपने हिस्से के अनुसार ( भैंस का पिछला हिस्सा ) दूध निकाल लिया।
भोनू झा को बहुत ही गुस्सा आया की मैंने तो भैंस को चारा दिया। और सारा काम किया।
दूध उस गोनू झा के हिस्से में आया ये देखकर भोनू झा बहुत ही दुखी हुए।
फिर रात की बारी आयी तो भोनू झा ने उस कम्बल को धो कर सूखा दिया ।
रात होने पर कंबल भी गोनू झा के हिस्से में आया था रात को भी भोनू झा को कुछ नहीं मिला।
भोनूझा खीझ कर रह गए।
जब ऐसे ही चलता रहा तो भोनू झा ने एक बुजुर्ग को अपने बटवारे की सारी बात बताई।
उन्होंने कहा की में तुम्हे एक उपाय बताता हूँ।
गोनू झा और भोनू झा के बंटवारे की कहानी इन हिंदी
तुम वैसा ही करना फिर तुम्हे तुम्हारा अधिकार जरूर मिलेगा।
उसने कहा की तुम अपने हिस्से के अनुसार ही भैंस को चारा व पानीदे देना।
परन्तु जब भी गोनू झा दूध निकलने के लिए आये तो तुम भैंस के मुँह पर डंडा मारना जिससे भैंस दूध नहीं निकालने देंगी।
और तुम कम्बल को दिन में ही धो देना जिससे गोनू झा को रात में गीला कम्बल मिले जब गोनू झा को एहसास होगा।
की उसने तुम्हारे साथ गलत किया है।
अगले दिन भोनू झा ने बुजुर्ग द्वारा बताये हुए उपाय के अनुसार ही किया।
जैसे ही गोनू झा दूध निकलने लगे तो तभी भोनू झा ने आकर भैंस के मुँह पर डंडा मार दिया।
जिसके कारण भैंस ने सारा दूध बिखेर दिया और गोनू झा को कुछ नहीं मिला।
गोनू झा ने चिल्लाते हुए अपने भाई को कहा की तुमने भैंस को डंडा क्यों मारा ।
इस पर भोनू झा ने कहा क्योकि भैंस के आगे का हिस्सा मेरा है में कुछ भी करू।
गोनू झा वह से ये सब सुनकर चुपचाप चले गए।
रात होने पर गोनू झा अपना कम्बल लेने आये तो भोनू झा ने उन्हें कंबल दिया तो वो कम्बल गीला था।
गोनू झा ने कहा की ये तो गीला कंबल है इस पर भोनू झा ने कहा की दिन मेरा हिस्सा था ।
तो मैंने इसे धो दिया था अब सूखा नहीं तो में क्या करू।
गोनू झा को अपनी भाई की बात सुनकर अपनी गलती का एहसास हुआ।
और उन्होंने अपने भाई से क्षमा मांगी था दोबारा बटवारा कराया।
जिसमे एक- एक दिन के लिए दोनों चीजें बाटी गयी।
कहानी से शिक्षा
इस कहानी से बच्चों हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे हमेशा ईमानदारी और सत्य के साथ काम करना चाहिए