Panchtantr ki Kahani in hindi :Lomdi Aur Saras ki kahani :
बहुत समय पहले की बात है की जंगल में में एक लोमड़ी और एक सारस रहते थे।
ये दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। सारस प्रतिदिन तालाब से मछली पकड़कर लोमड़ी को खाने के लिए देता था।
इस तरह दोनों की दोस्ती काफी गहरी हो गई।
सारस बहुत सरल थी, लेकिन लोमड़ी बहुत लालची और चालाक थी।
वह हमेशा दूसरों को परेशान करती थी। उसे दूसरों का अपमान करने और मज़ाक उड़ाने में मज़ा आता था।
एक दिन उसने सोचा कि क्यों न एक बार का अपमान कर सारस का मजाक उड़ाया जाए।
ऐसा सोचकर उसने सारस को एक शाही भोज के लिए आमंत्रित किया।
उसने जानबूझकर सूप को एक प्लेट में परोसा। वह जानती थी कि सारस थाली से सूप नहीं पी सकती थी।
सारस को सूप न पीता देख लोमड़ी बहुत खुश हुई और लोमड़ी ने सारस की झूठी चिंता दिखाते हुए सारस से पूछा की क्या हुआ?
दोस्त आपने सूप नहीं पीया क्या? कैसा लगा आपको सूप ?
सारस ने कहा नहीं दोस्त, यह सूप तो बहुत ही स्वादिष्ट है।
जब सारस ने देखा कि थाली में सूप परोसा जा रहा है।
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और लोमड़ी जानबूझकर उससे सवाल कर रही है,तो वह सब कुछ समझ गयी ।
लेकिन सारस ने कुछ नहीं कहा। उस दिन सारस को भूखा रहने के साथ-साथ अपमान भी सहना पड़ा।
लेकिन रास्ते में सारस ने भी उसे दावत पर बुलाया और अगले ही दिन लोमड़ी सारस के घर पहुंच गई।
सारस ने दावत के लिए सूप बनाया और लोमड़ी के साथ अन्य लंबी चोंच वाले पक्षियों को आमंत्रित किया।
सारस ने सूप को घड़े में परोसा। घड़े का मुंह इतना छोटा था कि केवल चोंच ही उसमें प्रवेश कर सकती थी।
लोमड़ी अन्य सभी पक्षियों को सूप पीते हुए देखती रह गयी ।
लोमड़ी को बिना सूप के देखकर सारस ने पूछा कि क्या हुआ आपको सूप अच्छा नहीं लगा क्या?
सबने कहा कि सूप बहुत स्वादिष्ट होता है. लोमड़ी को भी सबके सामने हां कहनी पड़ी।
ये देखकर लोमड़ी को मन ही मन बहुत बुरा लगा और उसको अपनी बेज्जती महसूस हुई ।
कहानी से शिक्षा:Moral of the Story :
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए,
जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करते हैं, वैसा व्यवहार ही हमारे साथ होता है।