Ekta Mein Bal Ki Kahani Hindi Mein – एकता में बल की कहानी – Hindi Kahani
Ekta Mein Bal Ki Kahani in Hindi:
एक गाँव में एक किसान का परिवार रहता था किसान के परिवार में किसान और उसके चार पुत्र रहते थे।
वे सभी अपनी पिता की आज्ञा के अनुसार ही सारा काम बड़ी मेहनत और ईमानदारी से करता थे।
और अपने पिता से उन्होंने खेती वाड़ी का सारा काम धीरे धीरे सिख लिया और वो सब अपने पिता के बताये अनुसार सारा काम करते थे।
किसान के खेतों में बहुत अधिक पैदावारी होती थी किसान ये सब देख क्र बहुत खुश होता था।
एक गाँव में एक किसान का परिवार रहता था। किसान के परिवार में किसान और उसके चार पुत्र रहते थे।
लेकिन किसान उनके आपस में होने वाले झगड़े से बहुत परेशान रहता था।
किसान के बेटे छोटी छोटी बातो पर आपस में लड़ते रहते थे।
किसान के बार बार कहने पर उनको कोई बात समझ नहीं आती।
वो चारों अपना काम तो करते थे। परन्तु लड़ाई भी करते थे।
हिंदी कहानी:
किसान अपने बेटों को इस तरह लड़ते देख कर बहुत दुखी रहता था।
किसान सोचता था न जाने मेरे मरने के बाद अगर ये चारों इसी प्रकार लड़ाई करते रहे।
तो इनका आने वाला भविष्य ही खराब हो जायेगा।
ये ही सोच सोच कर किसान बहुत परेशान रहता था।
एक दिन किसान ने अपने पुत्रों के लड़ाई झगड़े बंद करने के लिए एक योजना बनाई।
अब किसान अपने बेटों के खेत से घर आने का इंतज़ार करने लगा।
शाम होने के बाद जैसे किसान के चारों बेटे अपने घर वापस आये।
तो किसान ने अपने चारों बेटों को अपने पास बुलाया और उनसे कहा की में तुम चारों को एक काम देना चाहता हूँ।
और में चाहता हूँ की तुम अकेले अकेले यी ये काम करना है।
किसान ने अपने बेटो से की जाओ और एक एक मोटी लकड़ी लेने को कहा।
अपने पिता की बात सुन कर चारों बेटे लकड़ी लेने चले गए।
चारों बेटे एक एक लकड़ी के साथ वापस आये। किसान ने चारो को बोला की अब तुम चारों अपनी अपनी लकड़ी को तोड़ दो।
चारों बेटों ने अपने पिता के कहे अनुसार अपनी अपनी लकड़ी को आसानी तोड़कर अपने पिता के सामने रख दिया किया।
अब उन लकड़ियों का एक गट्ठर बनाने को बोला चारो बेटो ने अपनी लकड़ियों को एकत्रित करके उनका एक गट्ठर बना कर अपने पिता के समक्ष रख दिया।
अब उनके पिता ने बारी बारी से अपने चारों बेटो को बुलाया।
Ekta Mein Bal Ki Kahani
किसान ने पहले अपने बेटे को दिया और उसने कोशिश की परन्तु लकड़ी का गट्ठर तोड़ने में असफल रहा।
इस बार लकड़ी का गट्ठर दूसरे बेटे के हाथ में था।
उसने भी उस गट्ठर को तोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।
परन्तु लकड़ी का गट्ठर नहीं टूटा फिर किसान ने वही लकड़ी का गट्ठर अपने तीसरे बेटे को दिया।
और उससे उस लकड़ी के गट्ठर को तोड़ने के लिए कहा।
एकता में बल कहानी से सीख : Ekta Mein Bal Ki Kahani Ka Moral
इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है की हमे आपस में नहीं लड़ना चाहिएकर।
और एक दूसरे का मान सम्मान करना चाहिए क्योंकि एकता में ही बल है।
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