Akbar aur Birbal ki kahani hindi mein
अकबर-बीरबल की कहानी: खाने के बाद लेटना
एक बार बादशाह अकबर अपने महल के बाहर बैठे थे तो वो कुछ पुरानी बातें याद कर रहे थे
तभी अचानक से उन्हें याद आया की
बीरबल ने एक बार बहुत पहले बीरबल को एक बात समझायी थी जो मनुष्य मारने के दुम दबाकर भागता है
और जो खाना खाकर लेट जाता वो बहुत तेज होते है
बादशाह ने सोचा, “अब दोपहर का समय हो गया है।
जरूर बीरबल खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहे होंगे। चलो आज उसकी बात को गलत साबित करते हैं।
” यह सोचकर बादशाह ने एक नौकर को आदेश दिया कि इस समय बीरबल को दरबार में उपस्थित होने का संदेश दिया जाए।
बीरबल खाना खाकर ही बैठे थे कि नौकर राजा की आज्ञा लेकर बीरबल के पास पहुँचा।
आदेश के पीछे छिपे राजा की मंशा को बीरबल अच्छी तरह से समझ गया था।
उस ने नौकर से कहा, तू थोड़ी देर ठहर। मैं वस्त्र बदल कर तेरे संग चला जाता हूं।
अंदर जाकर बीरबल ने अपने लिए एक चुस्त पजामा चुना।
पजामा चुस्त था इसलिए उन्हें पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा।
पजामा पहनने का नाटक करते हुए वह कुछ देर बिस्तर पर लेटा रहा और फिर नौकर को लेकर दरबार में चले गए ।
दरबार में राजा को केवल बीरबल की तलाश थी।
जैसे ही वे वहाँ पहुँचे, राजा ने पूछा, “बीरबल ही क्यों। क्या तुम आज रात के खाने के बाद लेट गए या नहीं?
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” बीरबल ने उत्तर दिया, “जी महाराज। लेटे हुए होंगे।” यह सुनकर राजा को बड़ा क्रोध आया।
उन्होंने बीरबल से पूछा, “क्या इसका मतलब यह है कि आपने मेरे आदेशों की अवहेलना की है।
आप उस समय मेरे सामने क्यों नहीं आए? इसके लिए मैं आपको दंडित करता हूं।”
बीरबल ने तुरंत उत्तर दिया, “जहाँपनाह ।
यह सच है कि मैं थोड़ी देर के लिए लेट गया, लेकिन मैंने आपके आदेश की अवज्ञा नहीं की है।
यदि आप मुझ पर विश्वास नहीं करते हैं, तो आप इस बारे में नौकर से पूछ सकते हैं।
हां, यह अलग बात है कि मैं इस तंग पायजामा को पहनने के लिए बिस्तर पर लेटना पड़ा।”
बीरबल की यह बात सुनकर अकबर हँसे बिना नहीं रह सके और उसने बीरबल को दरबार से जाने दिया।
Moral of the storyकहानी से सबक
इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि स्थिति को जानकर हमारे द्वारा उठाया गया एक कदम हमें कई मुसीबतों से बचा सकता है।