Story of Akbar and Birbal in Hindi: धोखेबाज काजी

Small Story of Akbar and Birbal in Hindi: धोखेबाज काजी

 

Short Story of Akbar and Birbal in Hindi with Moral

एक बार बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठ कर किसी राजनैतिक मुद्दे पर अपने नव रत्नो और दरबारियों के साथ बैठ कर चर्चा कर रहे थे।

उसी समय एक किसान रोटा बिलखता हुआ।

बादशाह के दरबार में पहुंचा और उनसे गुहार लगाई। की हे बादशाह

आपके रहते हुए मेरे साथ आपकी सल्तनत के एक काजी ने बहुत बड़ा धोखा किया है।

मुझे न्याय चाहिए महाराज में बहुत दुखी हु कृपया मेरी मदद करे।

ये कहते कहते किसान बहुत रोने लगा और बादशाह के दरबार में ही खड़ा रहा।

उसकी बात सुनकर बादशाह ने उससे खा की क्या हुआ है।

तुम्हारे पहले पूरी बात बताओ और किसने तुम्हारे साथ धोखा किया है।

 

Akbar and Birbal Story in Hindi with Moral

 

किसान ने कहा कि महाराज में बहुत ही और खेती करके अपनी गुजर बसर कर रहा हूँ।

मेरे कोई भी संतान नहीं है और कुछ समय पहले मेरी पत्नी की भी मृत्यु हो गयी थी।

उसकी मृत्यु के बाद मेरा कोई भी नहीं रहा और नहीं किसी भी काम में मेरा मन लगता है।

में बहुत उदास और परेशान रहता था।

तो में अपनी इस समस्या का हल करवाने के लिए काजी साहब के पास गया था उन्होंने मुझसे कहा

की मुझे कुछ समय के लिए दरगाह मे जाना चाहिए अल्लाह के दरबार में अपना मन लगाना चाहिए।

काजी साहब की बात से प्रभावित होकर मेने दरगाह जाने का फैसला किया।

Akbar and Birbal story in Hindi

और मैंने अपने जाने की साडी तैयारिया भी कर ली थी परन्तु मेरे सामने एक और समस्या थी।

की मेरे पास कुछ सोने के सिक्के और मेरी  हुई पत्नी के गहने थे।

तो मेने काजी साहब को बताया की में इतना धन न तो साथ लेकर जा सकता हूँ।

न ही यह पर छोड़ कर जा सकता हूँ तो मेने अपना धन काजी साहब को अपने पास रखने के लिए कहा उन्होंने भी मान लिया।

और बोले की अपनी इस सिक्के की थैली पर एक निशानी या मोहर बना दो।

जिससे बाद में कोई भी गलतफहमी न हो मेने काजी साहब के कहे अनुसार मोहर बना दी।

और अपना सारा धन उनको उस थैली में करके दे दिया।

बादशाह ने पूछा तो उसके बाद क्या हुआ किसान ने कहा की महाराज में कल ही दरगाह से वापिस आया।

और मैंने काजी साहब से अपनी थैली वापिस ले ली और मैंने अपने घर जाकर उसे खोला।

तो मेने देखा की उसमे तो सोने के गहने और सिक्को की जगह पत्थर टुकड़े है।

में उस थैली को लेकर काजी साहब के पास गया तो उन्होंने मुझे बहुत डांटा और कहा की मैंने  उनको ये ही थैली दी थी।

अपने नौकरों के द्वारा मुझे वहा से भगा दिया।

किसान ने रोते हुए बादशाह से बोले कि मेरे पास वही जमा पूंजी है और कुछ नहीं है मुझे इंसाफ दिला दो महाराज!

किसान की पूरी बात सुनकर बादशाह ने बीरबल को ये आदेश दिया।

की जाओ बीरबल इस समस्या का समाधान करके इस किसान को न्याय दिलाओ।

बादशाह की बात सुनकर बीरबल ने कहा जो आज्ञा बादशाह मुझे दो दिन का समय चाहिए ।

इस समस्या को हल करने के लिए और बीरबल ने उस किसान से वो थैली ले ली।

और उसको बाद में बुलाने के लिए बोला।

उसके बाद बीरबल अपने घर की तरफ चल दिए।

Akbar and Birbal Moral Story in Hindi

बीरबल ने अपने घर जा कर एक फटा हुआ पुराना कुरता लिया। और उसे लेकर कई दर्जियों के पास गए।

और उनसे कहा की ये कुरता ऐसे सील दो जैसे ये लगे की ये कुर्ता कभी फटा हुआ ही नहीं था।

बहुत खोजने के बाद एक दर्जी मिला उसने बीरबल का कुर्ता ऐसे ही सिल दिया।

बीरबल ने उसे पैसे दिए और बोला की कल सुबह तुम्हे दरबार में उपस्थित होना है।

अगली सुबह बीरबल ने किसान और काजी को दरबार में पेश होने के लिए बुलाया।

किसान और काजी के आते ही बीरबल ने उनके सामने उस दर्जी को बुलाया जिसे देख कर काजी थोड़ा घबरा गए।

फिर ने दरबार में उस दर्जी से पूछा की क्या इस काजी ने तुम्हें कुछ सिलने को दिया था।

Akbar or Birbal Story in Hindi

दर्जी ने कहा की हा काजी साहब ने मुझे एक थैली सिलने को कहा था।

बीरबल ने काजी से पूछा तो उन्होंने ने कबूल कर लिया की उन्होंने ही किसान के  गहने और सिक्के लिए है।

और बादशाह के आदेश पर काजी ने किसान के सिक्के और गहने लौटा दिए।

बीरबल की इस युक्ति पर बादशाह बहुत खुश हुए और उन्होंने दरबार में बीरबल की प्रसंशा की और काजी को दंड दे दिया।

और किसान और दर्जी को वहा से जाने के लिए बोल दिया किसान ने बादशाह को धन्यवाद दिया और खुश होकर वहा से चला गया।

कहानी से सीख Moral of the Story in Hindi:

मोरल ऑफ़ द स्टोरी इन हिंदी

इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है की हमे कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए।

न ही कभी किसी गरीब के साथ धोखा करना चाहिए बरना उसका दंड भुगतना पड़ता है। सभी के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है