Mulla Nasruddin Aur Bhikari ki Kahani Hindi mein
मुल्ला नसरुद्दीन अक्सर मजाक में एक बड़ा सबक सिखाते थे।
नसरुद्दीन की इसी आदत की वजह सेउनके आसपास के राज्य और नगर मेंउनकी चर्चाएं होती रहती थी।
मुल्ला नसरुद्दीन का व्यवहार भी बहुत अच्छा था।और सभी कहते थे कि वह बहुत ही दयालु और दानी प्रवृत्ति के हैं।
एक बार एक भिखारी ने मुल्ला नसरुद्दीन के बारे में ये सारी बातें सुनी।
उसने सोचा।कि जब इस व्यक्ति इतनी तारीफ लोग करते हैं।
तो क्यों ना में उनसे जाकर कुछ मदद मांग लू ?
ऐसा सोचकर ही भिखारी अपने घर से निकलकर मुल्ला नसरुद्दीन के नगर की ओर चल दिया।
अचानक से।मुल्ला नसरुद्दीन इस भिखारी को नगर के रास्ते में ही मिल गए।
परन्तु भिखारी मुल्ला नसरुद्दीन को पहचान नहीं पाया।
और कुछ समय बाद वहीं भिखारी मुल्ला नसरुद्दीन के घर के सामने एक भिखारी आया।
मुल्ला नसरुद्दीन पहली मंजिल पर आराम से बैठकर खाना खा रहे थे ।मुल्ला जी को देखकर भिखारी बोला,
“अरे साहब, नीचे आ जाओ, आपसे कुछ जरूरी काम है।” मुल्ला नसरुद्दीन ने भिखारी से कहा, “बताओ नीचे से क्या काम है।
” भिखारी ने कहा, “मेरे इस जरूरी काम के लिए आपको नीचे ही आना पड़ेगा ।”
भिखारी के बार बार कहने पर।मुल्ला नसरुद्दीन अपना खाना छोड़कर नीचे आये
और बोले बताओ की तुम्हारा क्या जरूरी काम है मुझ से ?
भिखारी ने कहा, “मुझे दो पैसे दो, मालिक, मैं बहुत गरीब हूँ।
” मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, भिखारी से नाराज़ होकर ऊपर आ जाओ।
भिखारी ने पैसे के लालच में मुल्ला नसरुद्दीन का पीछा किया।
ऊपर जाकर मुल्ला नसरुद्दीन ने भिखारी से कहा, “मेरे पास एक पैसा भी नहीं है।
” इस बार नाराज़ होने की बारी भिखारी की थी। बेचारा अपने ही मुँह से वहाँ से चला गया।
Moral of the story कहानी से सीखो
हमें दूसरों के समय का सम्मान करना चाहिए न कि केवल अपने स्वार्थ के बारे में सोचना चाहिए।