Akbar Birbal ki kahani hindi mein | Buddhi Se Bhara Bartan Story in Hindi 24-Sep-2024 Mein Read Karein

Akbar aur Birbal short story in hindi 24-Sep-2024 Ko Apne Bachhe Ko Sunaye

एक बार राजा अकबर और उनके प्रिय बीरबल के बीच कुछ मनमुटाव हो गया था।

इसके कारण राजा ने बीरबल को राज्य से चले जाने के लिए दंडित किया।

इस स्थिति में भी बीरबल ने हार नहीं मानी और वे दूसरे गांवों में जाकर भेष बदलकर खेती करने लगे।

अब वह एक किसान के रूप में अपना जीवन जीने लगा।

शुरुआत में राजा अकबर के लिए सब कुछ सामान्य था, लेकिन कुछ ही दिन बीत गए

कि राजा को अपनी गलती का एहसास होने लगा। वह अपनी दिनचर्या में बीरबल को याद करने लगा।

उन्हें जब भी कोई मुश्किल आती थी तो वे बीरबल को बहुत मिस करते थे।

एक दिन राजा अकबर के साथ नहीं रहा। उसने अपने सेनापति को बुलाया और उसे बीरबल को खोजने का आदेश दिया।

राजा के आदेशानुसार हर गांव, हर गली में बीरबल की तलाश शुरू की गई।

Akbar Birbal ki kahani hindi mein

सभी सिपाहियों ने कोने-कोने की तलाशी ली, लेकिन बीरबल नहीं मिले।

जब राजा को इस बात का पता चला तो वह बहुत निराश हुए।

अब उनकी बीरबल से मिलने की बेचैनी बढ़ने लगी थी। अचानक राजा के दिमाग में एक उपाय आया।

उसने आदेश दिया कि सभी ग्राम प्रधानों को संदेश भेजा जाए।

कि वे सभी अपनी बुद्धि को एक बर्तन में रख कर राजा के पास भेज दें।

Akbar Birbal ki kahani hindi mein

जो कोई भी इस आदेश को पूरा नहीं करेगा, उसे इसके बजाय हीरे और रत्नों से भरा एक बर्तन राजा को भेजना होगा।

राजा के इस अजीबोगरीब आदेश को सुनकर सभी ग्रामीण परेशान हो गए।

सब सोच रहे थे कि बुद्धि को बर्तन में कैसे भरूं। बुद्धि तो सभी को मिलती थी,

लेकिन सभी को यह सोचने में परेशानी हो रही थी कि इसे बर्तन में कैसे रखा जाए।

ऐसा न कर पाने पर उन्हें उसी बर्तन को कीमती हीरे और गहनों से भरना पड़ा, जो और भी बड़ी समस्या थी।

वहीं जिस गांव में बीरबल एक आम किसान के वेश में रह रहे थे,

वहां राजा का यह आदेश चर्चा का विषय बना रहा. गांव के सभी बुजुर्ग मायूस होकर बैठे थे

कि बीरबल वहां आ गए और कहा कि वह इस समस्या का समाधान ढूंढ सकते हैं।

Moral story for kids

पहले तो किसी को इस पर विश्वास नहीं हुआ।

लेकिन उनके पास बीरबल पर भरोसा करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।

इसलिए इस कार्य की बागडोर बीरबल को सौंपी गई।

उस समय गांव में तरबूज की फसल उगाने का समय था।

बीरबल ने तरबूज के पौधे की एक बेल एक बर्तन में रख दी।

धीरे-धीरे उस बेल में तरबूज का फल लगने लगा।

और समय के साथ तरबूज ने बर्तन का रूप ले लिया। जैसे ही बर्तन पूरी तरह से तरबूज से भर गया।

बीरबल ने फल से बेल को अलग कर दिया और बर्तन को तरबूज के साथ राजा के दरबार में भेज दिया।

साथ ही यह सन्देश भी भेज दो कि उस पात्र के अन्दर बुद्धि है

और राजा को पात्र को तोड़े बिना ही बुद्धि निकालनी होगी।

राजा ने जैसे ही तरबूज से भरे घड़े को देखा और उसे हटाने की शर्त सुनी।

तो उन्हें विश्वास हो गया कि ऐसा विचार केवल बीरबल का ही हो सकता है।

उसने जल्दी से अपने घोड़े को आदेश दिया और बीरबल को अपने साथ वापस लाने के लिए गाँव की ओर चल दिया।

Moral of the story कहानी से सबक

यह कहानी हमें सिखाती है कि हर मुश्किल सवाल का जवाब होता है। हमें बस थोड़ा अलग सोचने की जरूरत है।