Panchtantr ki kahani:कबूतर और मधुमक्खी की कहानी
बहुत सालों पहले की बात है की एक घने जंगल में बहुत से पक्षी रहते थे
उनमे से एक शांत स्वभाव का एक कबूतर भी उसी जंगल के एक पेड़ पर रहता था
एक दिन की शाम के समय एक मधुमक्खी भी वहाँ से होकर गुरी तो एकदम से वह एक नदी में गिर गई।
उसके पंख गीले हो गए। उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन निकल नहीं पाई।
जब उसे लगा कि अब वह मर जाएगी तो वह मदद के लिए चिल्लाने लगी।
तभी पास के पेड़ पर बैठे कबूतर की नजर उस पर पड़ी।
कबूतर तुरंत उसकी मदद के लिए पेड़ से उतर गया।कबूतर ने मधुमक्खी को बचाने का उपाय सोचा।
कबूतर ने अपनी चोंच में एक पत्ता पकड़ा और उसे नदी में गिरा दिया।
जैसे ही पत्ता मिला, मधुमक्खी उस पर बैठ गई। कुछ ही समय में उसके पंख सूख गए थे।
अब वह उड़ने को तैयार थी। उन्होंने अपनी जान बचाने के लिए कबूतर को धन्यवाद दिया।
इसके बाद मधुमक्खी वहां से उड़ गई।
कुछ समय के बाद एक शिकारी उस जंगल में आया।
और उसने चुपके से कबूतर पर निशाना साधा शिकारी को कबूतर पर निशाना लगाते हुए मधुमखी ने देख लिया था ।
उस समय कबूतर अपने घोंसले में आराम कर रहा था ।
यह वही मधुमक्खी थी जिसकी जान कबूतर ने बचाई थी।
मधुमक्खी तुरंत उस शिकारी की तरफ उडी और जाकर सीधे शिकारी के हाथ में अपना जहरीला डंक मार दिया ।
मधुमक्खी के काटते ही शिकारी बहुत तेज़ चिल्लाया व रोने लगा।
गुलेल उसके हाथ से छूट कर गिर पड़ी। शिकारी के रोने की आवाज सुनकर कबूतर की नींद खुल गई।
मधुमक्खी ने अपनी सूझबूझ से कबूतर को शिकार होने से बचा लिया।
कबूतर ने मधुमक्खी को शुक्रिया बोला और जंगल की तरफ मधुमक्खी के साथ उड़ गया ।
कहानी से सीखो
इस कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें मुसीबत में पड़े व्यक्ति की मदद करनी चाहिए।
यह निश्चित रूप से हमें भविष्य में अच्छे परिणाम देता है।