The Boy Who Cried Wolf Story In Hindi-भेड़िया आया की कहानी |

Panchtantra ki kahani :भेड़िया आया की कहानी

बहुत समय पहले एक गाँव में एक चरवाहा रहता था। उसके पास कई भेड़ें थीं,

जिन्हें वह पास के जंगल में चराता था। हर सुबह वह भेड़ों को जंगल में ले जाता और शाम को घर लौट आता था।

सारा दिन भेड़ें घास पर चरती थीं और चरवाहा बैठ कर ऊब जाता था।

इस वजह से वह हर रोज अपना मनोरंजन करने के नए-नए तरीके ढूंढते रहता था ।

एक दिन उसे एक नया मज़ाक सूझा । उसने सोचा क्यों न इस बार गांव वालों के साथ मनोरंजन किया जाए।

यह सोचकर वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा, “बचाओ-भेड़िया आ गया, भेड़िया आ गया।”

उसकी आवाज सुनकर ग्रामीण उसकी मदद के लिए लाठी-डंडे लेकर दौड़े चले आए।

गांव वाले जैसे ही वहां पहुंचे तो देखा कि वहां कोई भेड़िया नहीं है और चरवाहा उसका पेट पकड़ कर हंस रहा था

. “हाहाहा, बहुत मज़ा आया। मैं मज़ाक कर रहा था। आप सब कैसे भागे भागे, आये हाहाहा।

” ये शब्द सुनते ही ग्रामीणों के चेहरे गुस्से से लाल और पीले पड़ने लगे।

एक आदमी ने कहा कि हम सब अपना काम छोड़कर आपको बचाने आए हैं और आप हंस रहे हैं?

यह कहकर सभी लोग अपने-अपने काम पर वापस चले गए।

कुछ समय बाद गाँव ने उसी लड़के की आवाज सुनी की मेरी सहयता करो इस भेड़िये से मुझे बचाओं ।

Moral story for kids

” यह सुनकर वह फिर से चरवाहे की मदद के लिए दौड़े जब ग्रामीण हांफते हुए वहां पहुंचे तो क्या देखा?

वे देखते हैं कि चरवाहा अपनी भेड़ों के साथ आराम से खड़ा है और गाँव वालों को देखकर ज़ोर-ज़ोर से हँस रहा है।

इस बार ग्रामीणों का गुस्सा और बढ़ गया। उन सभी ने चरवाहे के बारे में बहुत कुछ बताया, लेकिन चरवाहा नहीं समझा।

उसने दो-तीन बार फिर वही किया और मजाक में चिल्लाते हुए ग्रामीणों को एकत्रित किया।

उसके बाद सभी गाँव बालों ने उस चारे वाले पर विश्वास करना बंद कर दिया।

एक दिन ग्रामीण अपने खेतों में काम कर रहे थे और उन्होंने फिर से चरवाहे के रोने की आवाज सुनी।

“भेड़िया बचाओ, भेड़िया बचा, आया”, लेकिन इस बार किसी ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया।

सब आपस में कहने लगे कि दिन भर ऐसे ही मजाक करना उसका ही काम है। चरवाहा लगातार चिल्ला रहा था।

“कोई है मुझे बचाओ मेरी सहायता करो मुझे बचाओ इस भेड़िये से मेरी रक्षा करो।

चरवाहा चिल्लाता रहा, लेकिन गांववाले नहीं आए और भेड़िये ने एक-एक करके उसकी सारी भेड़ें खा लीं।

यह सब देख चरवाहा रोने लगा। कई रातों तक जब चरवाहा घर नहीं आया।

तो ग्रामीण उसकी तलाश में जंगल में पहुंच गए। वहां पहुंचने पर उसने देखा कि चरवाहा पेड़ पर बैठा रो रहा था।

ग्रामीणों ने किसी तरह चरवाहे को पेड़ से नीचे उतारा। उस दिन चरवाहे की जान तो बच गई।

लेकिन उसकी प्यारी भेड़ भेड़िये का शिकार हो गई थी। चरवाहे को अपनी गलती का एहसास हुआ।

और उसने ग्रामीणों से माफी मांगी। चरवाहे ने कहा, “मुझे माफ कर दो भाइयों, मैंने झूठ बोलकर बहुत बड़ी गलती की है।

मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।”

कहानी से सीखो: Moral of the story

यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी भी झूठ नहीं बोलना चाहिए। झूठ बोलना बहुत बुरी चीज है।

झूठ बोलने की वजह से हम लोगों का विश्वास खोने लगते हैं