तेनालीराम की कहानी: तेनाली रामा और स्वर्ग की खोज

बहुत समय पहले की बात है। विजयनगर नाम का एक राज्य था।

वहां के राजा कृष्णदेव राय थे। उन्होंने हमेशा अपनी प्रजा और राज्य की खुशी और शांति के लिए काम किया।

उसके राज्य में तेनालीराम नाम का एक कवि भी था, जो बहुत ही चतुर और बुद्धिमान था।

इसलिए राजा बिना उसकी सलाह के कोई काम नहीं करता था।

यह बात राज्य के सभी दरबारियों को बहुत परेशान करती थी और वे एक मौके की तलाश में रहते थे

जब उन्हें तेनालीराम को अपमानित करने का मौका मिले।

एक दिन राजा ने सभी मंत्रियों और दरबारियों को राज्य सभा में उपस्थित होने के लिए कहा।

राजा के आदेश पर सभी दरबारी और मंत्री गण समय पूर्व ही दरबार में उपस्थित हो गए ।

हर कोई यह जानने के लिए बेताब था कि राजा किस प्रश्न का उत्तर जानना चाहता है।

राजा ने सबको बताया की जब में छोटा सा था तब मैंने एक शब्द सुना था जो स्वर्ग था लोग कहते है की ये सबसे सुंदर स्थान होता है

मुझे स्वर्ग देखने की चाह है बचपन से ही । क्या कोई जानता है कि स्वर्ग कहाँ है?”

राजा की यह बात सुनकर सभी हैरान रह गए और आपस में बात करने लगे कि राजा को कैसे बताऊं कि स्वर्ग नाम की कोई जगह नहीं है।

ऐसे में सभी ने तेनालीराम को नीची दृष्टि से देखा और कहा कि महाराज तेनाली हैं, जो स्वर्ग का मार्ग जान सकते हैं। आप उन्से पूछिए।

सबसे एक सी ये बात सुनकर राजा चौंक गए और बोले की तेनाली राम के पास ही क्यों इसका जवाब होगा

तुम्हारे पास की कुछ भी जवाब नहीं है तुमको नहीं पता की स्वर्ग कहाँ पर है ?”

तेनालीराम ने राजा को सांत्वना देते हुए बोले की हे राजन में निश्चय रूप से जनता हूँ की स्वर्ग कहाँ है

परन्तु मुझे आपको स्वर्ग ले जाने के लिए कुछ महीनों का समय लगेगा और कुछ धन राशि भी चाहिए ।”

तेनालीराम की बात सुनकर राजा तैयार हो जाता है। वे कहते हैं, ‘तेनाली मैं तुम्हें समय और सोने के सिक्के दोनों देता हूं,

लेकिन दो महीने पूरे होने के बाद तुम्हें मुझे स्वर्ग ले जाना है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो आपको सजा दी जाएगी।

राजा की यह बात सुनकर सभी दरबारियों के मन में मुस्कान आ गई और वे सोचने लगे कि स्वर्ग है।

ऐसे में तेनालीराम को सजा भुगतनी पड़ती,

धीरे-धीरे समय बीतता गया और दो महीने भी बीत गए, लेकिन तेनाली राम का कोई पता नहीं चला।

शाही दरबार में बात होने लगी कि तेनाली 10 हजार सोने के सिक्के लेकर भाग गया।

जब ये बातें राजा के कानों तक पहुंचीं तो वह तेनाली राम पर बहुत क्रोधित हो गए।

उसने अपने सैनिकों को किसी भी परिस्थिति में तेनाली को खोजने का आदेश दिया।

सैनिक तेनालीराम की तलाश में निकल रहे थे तभी तेनाली स्वयं दरबार में उपस्थित हुए।

राजा ने गुस्से से पूछा, “इतने दिनों तक तुम कहाँ थे?”

तेनालीराम ने राजा से कहा की राजन में स्वर्ग खोजने गया था।”

राजा ने कहा। “क्या तुमने स्वर्ग पाया है?”

तेनालीराम ने कहा की हे राजन मैंने पता कर लिया है की स्वर्ग कहाँ पर स्थित है ।”

तेनाली की यह बात सुनकर राजा का क्रोध शांत हुआ।

अगले दिन राजा सभी दरबारियों के साथ तेनाली के साथ स्वर्ग देखने के लिए निकल पड़े।

तेनाली राम उन्हें जंगलों के बीच ले गए और वहां कुछ समय आराम करने के बाद उन्हें आगे की यात्रा करने के लिए कहा।

चलते-चलते हर कोई पूरी तरह से थक गया था, इसलिए राजा सहित सभी ने तेनाली की सलाह मान ली।

जंगल बहुत ही सुन्दर और सुन्दर था। ठंडी हवा चल रही थी।

चारों ओर हरे-भरे पेड़ थे, जो रंग-बिरंगे फूलों और फलों से लदे थे।

वहाँ राजा ने कुछ देर विश्राम किया और महसूस किया कि जिस प्रकार का वातावरण वह स्वर्ग की कामना कर रहा है,

वैसा ही वह इस वन में महसूस कर रहा है, लेकिन एक मंत्री ने राजा को स्वर्ग जाने की याद दिला दी।

जैसे ही उन्हें स्वर्ग जाने की याद आई, राजा ने तेनाली राम को चलने के लिए कहा।

तेनाली ने कहा, “सर, आगे बढ़ने से पहले मैं आपको कुछ बताना चाहता हूं।”

राजा ने कहा की बोलो तेनालीराम तुमको क्या बोलना है ।”

तेनालीराम ने राजा से कहा की राजन क्या आपको ये जगह पसंद आयी ये जगह बिल्कुल स्वर्ग का एहसास कराती है ।”

राजा ने कहा की इस जगह परिवेश बिल्कुल स्वर्ग के जैसा प्रतीत होता है ।”

यह सुनकर तेनाली ने कहा कि महाराज, जब भगवान ने आपको स्वर्ग जैसा महसूस कराने के लिए धरती पर जगह बनाई है,

तो आप उस स्वर्ग की क्या कामना करें, जिसका कोई ऐसा स्वरूप ही नहीं है ।

राजा तेनाली की बात समझते हैं। राजा कहता है, “तेनाली तुम बिल्कुल सही हो, लेकिन सोने के सिक्कों का क्या जो मैंने तुम्हें दिया था?”

तेनालीराम ने कहा, “महोदय, मैंने उन सिक्कों से यहाँ उपस्थित सभी वृक्षों और पौधों के लिए खाद मोल ली है,

ताकि जो स्वर्ग आप अपने राज्य से इतनी दूर देखने आए हैं, कि स्वर्ग को आपके राज्य में स्थान दिया जाए। . सका।”

राजा तेनाली से यह सुनकर प्रसन्न होता है और राज्य में लौटता है और तेनालीराम को उसकी बुद्धि के लिए पुरस्कृत करता है।

कहानी से मिली सीख:

तेनाली राम की कहानी और स्वर्ग की खोज हमें सिखाती है कि अगर बुद्धि से काम लिया जाए तो कुछ भी असंभव नहीं है। बस जरूरत है सही दिशा में सोचने की।
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